नेपालअपनी धरती से भारत विरोधी गतिबिधि नहीं होने देगा

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  • नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का पांच दिवसीय भारत दौरा 
  • भारत नेपाल के बीच हुए आठ समझौते
  • ड्रग ट्रैफिकिंग को रोकने पर भी हुई डील

नई दिल्ली(एजेंसीज): नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा गुरुवार को पांच दिनों की यात्रा पर भारत पहुंचे। यहां पर पीएम देउबा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और दोनों के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। पीएम देउबा की यह भारत यात्रा इस मामले और भी ज्यादा अहम है क्योंकि चीन के साथ डोकलाम की वजह से दो माह से भी ज्यादा समय से तनाव जारी है। देउबा ने भारत को भरोसा दिलाया है कि उनके देश की धरती का प्रयोग भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए हरगिज नहीं होगा। भारत और नेपाल के बीच गुरुवार को आठ समझौतों पर साइन हुए हैं जिसमें ड्रग ट्रैफिकिंग को रोकने पर भी डील हुई है। पीएम मोदी ने साझा प्रेस कांफ्रेंस में इस बात की जानकारी दी।

दो क्रॉस बॉर्डर पॉवर ट्रांसमिशन लाइन का उद्घाटन

दोनों नेताओं ने मुलाकात से पहले दो क्रॉस बॉर्डर पॉवर ट्रांसमिशन लाइन का भी उद्घाटन किया।  प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने कहा कि भारत और नेपाल के संबंध हिमालय जितने पुराने हैं। पीएम मोदी ने नेपाल की हर मदद करने का भरोसा जताया। पीएम मोदी ने इस दौरान ऐलान किया कि देउबा ने उन्हें जानकारी दी है कि हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट अरुण III के लिए जमीन को मंजूरी दी जा चुकी है। नेपाली पीएम देउबा ने पीएम मोदी को इस प्रोजेक्ट के उद्घाटन के लिए नेपाल आमंत्रित किया है। साझा प्रेस कांफ्रेंस में पीएम मोदी ने कहा, ‘देउबा जी ने मुझे बताया है कि अरुण III के लिए जमीन से जुड़े मुद्दे का समाधान हो गया है। मैं उन्हें इसके उद्घाटन के लिए मुझे नेपाल आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा।’

ने पाल की धरती का प्रयोग भारत-विरोधी गतिविधिनेयों के लिए हरगिज नहीं

देउबा का भारत दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब सिक्किम से सटे डोकलाम में 60 दिनों से भी ज्यादा समय से भारत और चीन के बीच टकराव की स्थिति है। देउबा ने भारत को भरोसा दिलाया है कि उनके देश की धरती का प्रयोग भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए हरगिज नहीं होगा। देउबा ने सात जून को नेपाल के प्रधानमंत्री का पद संभाला था और उसके बाद से यह उनका पहला विदेश दौरा है। चीन ने हाल ही में कई बार नेपाल को लुभाने की कोशिश की है। ऐसे में भारत, देउबा की यह नेपाल यात्रा भारत के लिए उस मौके की तरह है जहां पर वह नेपाल से यह भरोसा लेना चाहेगा कि वह किसी भी सूरत में भारत के हितों को लेकर चिंतित रहेगा।

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