उत्तराखंड लोकसभा सांसद के दिल्ली स्थित आवास में पाले जा रहे राष्ट्रीय पक्षी मोर व मोनाल

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देहरादून। आशीष बडोला। राष्ट्रीय पक्षी मोर को पालना दंडनीय अपराध है। ऐसा अपराध यदि लोकसभा में बैठने वाले दिग्गज प्रतिनिधियों द्वारा किया जाए तो समस्त लोकतंत्र शर्मसार हो जाता है। इतना ही नहीं इस सांसद के आवास पर उत्तराखण्ड के राज्य पक्षी मोनाल भी खुलेआम शौक से पाले जा रहे हैं।
सांसद के करीब सूत्रों की माने तो सांसद शाही परिवार से संबंध रखते हैं। पिछले दो बार से लोकसभा का चुनाव भी जीत चुके है। इनका जीने का अंदाज काफी हाॅईप्रोफाइल है। सांसद के दिल्ली स्थित आवास में कई महंगी इंपोर्टेड गाड़ियां भी खड़ी दिखाई देती है। कई ऐकड़ में बनी इस भव्य इमारत में आगे की ओर मेहमानों के लिए मखमली घास का लोन है। जिस पर बैठकर सांसद सुबह की चाॅय का लुफ्त लेती हैं। इतना ही नहीं सांसद ने अपने जीने का अंदाजा इतना शाही बना रखा है, कि उन्हें भारतीय वन्य जीव अधिनियम कानून की कोई परवाह ही नहीं है।

इनके भव्य आवास के पीछे कई बीघा में जगल बना है। जिनमें हरियाली और बेलों का दृश्य देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। इन्हीं के बीच राष्ट्रीय पक्षी मोर और राज्य पक्षी मोनालों को छोटी-छोटी उड़ान भरते और पंख फैलाते नाचते देखा जा सकता है। इनकी संख्या एक-नहीं बल्कि सैकड़ों में है। यदि किसी को इस बात पर थोड़ा भी संश्य हैं, तो खबर प्रकाशित किए जाने से कुछ समय पहले तक की सीसीटीवी फूटेज खंगाली जा सकती है। जिससें पुख्ता हो जाता है, कि सांसद ने पूरी तरह भारतीय वन्य जीव अधिनियम का उल्लंघन किया है। साथ ही आपकों बता दे कि मोनाल हिमाचल का राज्य पक्षी होने के साथ ही नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी है, जिसें आप सांसद के आवस में आसानी से विचरण करते देख सकते हैं।

मगरमच्छ पालने का मामला आ चुका है सामने– ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब किसी नामी राजनेता के घर वन्य जीवों को शौक के चलते कैद किये जाने की बात सामने आई हो, इससे पहले भी एक दिग्गज नेता के आवास पर मगरमच्छ व अन्य जंगली जीवों को पालने की बात पुख्ता हो चुकी है। ऐसे हाईप्रोफाइल मामलों में वन्य अधिकारी और वन्य जीवों से जुड़े एनजीओं भी अपने हाथ पीछे खींछते नजर आते हैं।

क्या कहते हैं वन्य जीवों के जानकार– वन्य जीवों के विशेषज्ञ अधिवक्ता शंकरदत्त पंत से जब मोर पाले जाने की सजा के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि कम से कम 3 साल की सजा हो सकती है। भारतीय वन्य जीव अधिनियम के अंतर्गत ये एक तरह का गैरजमानति अपराध है, इसमें 10 हजार रूपयें तक जुर्माना भी हो सकता है।

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