आदिवासियों को गोंडी भाषा में देशद्रोह की शिक्षा देने की तैयारी में थे नक्सली; 9 हार्डकोर नक्सलियों ने किया सरेंडर

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दंतेवाड़ा में नक्सली नेता गणेश के अंगरक्षक समेत नौ नक्सलियों का सरेंडर
बस्तर(छत्तीसगढ़): बस्तर में सक्रिय नक्सलियों के अग्रिम पंक्ति के नेता माने जाने वाले गणेश उइके के मुख्य अंगरक्षक नंदा उर्फ बारसे समेत 9 हार्डकोर नक्सलियों ने रविवार को दंतेवाड़ा एसपी के समक्ष सरेंडर कर दिया। इनमें नक्सल नेता के दल में शामिल दंपती हिंगा और कोसा भी शामिल हैं। दोनों की शादी 8 महीने पहले हुई थी।
सरेंडर करने वालों में बुरकापाल, भेज्जी, टाहकवाड़ा, चोलनार, मैलावाड़ा जैसी बड़ी घटनाओं में शामिल रहे नक्सली हैं। इन सभी घटनाओं में कुल 60 से ज्यादा जवानों की शहादत हुई है। इनमें से दो पर 8-8 लाख, एक पर 5 लाख और दो पर एक-एक लाख रुपए का इनाम है। सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने दावा किया कि करीब गणेश उइके 62 साल का हो चुका है। वह अब काफी अस्वस्थ रहने लगा है। 25 लाख का इनामी गणेश उइके दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य और दक्षिण सब जोनल ब्यूरो का सचिव है। दरभा, पश्चिम और दक्षिण बस्तर डिवीजन समेत तीनों डिवीजन की कमान उसके पास है। एसपी कमलोचन कश्यप ने बताया कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों से और भी कई महत्वपूर्ण सूचनाएं मिलने की संभावना है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि जल्दी ही कई और नक्सली समर्पण करने वाले हैं।

नक्सल निरोधक दस्ते को नक्सली शिविरों से गोंडी भाषा में ऐसी किताबें मिलीं हैं
दंतेवाड़ा(छत्तीसगढ़): आदिवासियों के बीच लगातार अपना खो रहे नक्सलियों ने अब आदिवासियों को गोंडी भाषा में देशद्रोह की शिक्षा देने की तैयारी की खबर सामने अाने के बाद सुरक्षा बल अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं. छत्तीसगढ नक्सल निरोधक दस्ते को नक्सली शिविरों से हाल ही में गोंडी भाषा में ऐसी किताबें मिलीं हैं, जिनमें आदिवासियों के समक्ष देशद्रोहियों का महिमामंडन किया जा रहा है. जानकारों का मानना है कि नक्सली इन पुस्तकों के माध्यम से भोले-भाले आदिवासियों को सरकार के खिलाफ भड़काने और उकसाने की कोशिश में थे. नक्सल अभियान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोरखनाथ बघेल ने बताया कि पुलिस को पिछले दिनों अरनपुर थाना क्षेत्र के पोर्राहिड़मा मुठभेड़ के बाद ध्वस्त हुए नक्सली शिविर से नक्सली पत्रिका प्रभात बरामद हुई है. पत्रिका में देशद्रोहियों का महिमामंडन करते हुए उकसावे के जिक्र हैं. बरामद दस्तावेज में नक्सली साहित्य का प्रिंट एवं हस्तलिखित गोंडी अनुवाद की पुस्तिकाएं भी मिली है, जिसका अध्ययन किया जा रहा है. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सतर्कता बरती जा रही है. बस्तर में नक्सली करीब चार दशक से दहशत फैला रहे हैं. समय-समय पर नक्सलियों का कनेक्शन विदेशी ताकतों से होने, उन्हें विदेशों से फंड और हथियार भी मिलने की सूचनाएं पुलिस को मिलती रही हैं.

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