चालक के पदों पर लिखित परीक्षा के बाद भी नहीं मिली नौकरी

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देहरादून। संवाददाता। उत्तराखण्ड में बेरोजगारी किस हद तक फैली है, इसका एक उदाहरण उस वक्त सामने आया। जब मदन कौशिक जनता दरबार मंे समस्याएं सुन रहे थे। कुछ युवक अपनी काबलियत को मीडिया के सामने सार्वजनिक करते दिखे।

उनका कहना था कि निशंक सरकार के समय दिसंबर 2012 में चालक के 312 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। जिसके बाद साल 2014 फरवरी में लिखित परीक्षा हुई।

अंत में 12 फरवरी 2015 में हरीश रावत सरकार ने प्रमाणपत्र सत्यापन के लिए बुलाया और फिर भर्ती पर लोग लगा दी। जो सरासर योग्य अभ्यार्थियों के साथ चयन न कर अन्याय करने जैसा है।

यदि सरकार को रोक लगानी ही थी तो लिखित परीक्षा से पहले लगाई जा सकती थी। उन्होंने कहा कि मामलें में वर्तमान सरकार से उम्मीदें हैं, यदि उनको नौकरी पाने में असफलता प्रतीत होती है, तो सरकार का घेराव किया जाएगा।

 

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