उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य, आधार से लिंक कर डिजीटल बनेंगे शैक्षिक प्रमाणपत्र

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देहरादून। आशीष बडोला। उत्तराखण्ड देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है। जहां उच्च शैक्षिक प्रमाणपत्र आधार कार्ड से लिंक होंगे। इससे शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता आएगी। साथ ही मुन्नाभाई जैसे लोग फर्जीवाड़ा नहीं कर सकेंगे। उच्च शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने उत्तराखण्ड रिपोर्ट के संवाददाता से इस बात को सांझा करते हुए बताया कि शिक्षा सत्र 2017-18 में ये नियम पूरी तरह से लागू हो जाएगा।

जिससें शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता आएगी। अभ्यार्थियों के प्रमाणपत्र को आधार से लिंक किया जाएगा। ऐसे में किसी भी छात्र के डिग्री या मास्टर डिग्री  पीएचडी प्रमाण पत्रों की सत्यता की परख सरलता से की जा सकेगी। छात्र की मार्कसीट और डिग्री पर एक कोड अंकित हेोगा। जिसे स्कैन करते ही छात्र से जुड़ी समस्त जानकारिया सामने आ जाएंगी। ये जानकारी वहीं होंगी जो आधार कार्ड के लिए अनिवार्य है।

पूरी तरह डिजीटल होंगे प्रमाणपत्र
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि प्रमाणपत्रों को पूरी तरह डिजीटल बनाए जाने की मुहिम पर काम किया जा रहा है। प्रमाणपत्रों पर एक कोड अंकित होगा। इसके लिए एक खास तरह के ऐप पीबी सिक्योर टीएम ऐप की मदद से प्रमाणपत्र पर अंकित कोड को स्कैन किया जाएगा। जैसे ही छात्र का प्रमाणपत्र कोड स्कैन होगा तुरंत उसकी सभी जानकारियां सामने आ जाएंगी। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में देखा जाए तो यह उपलब्धि राज्य के दृष्टीकोण से महत्वपूर्ण है। इस मुहिम पर काम करने वाला उत्तराखण्ड भारत का पहला राज्य है।

यजमान के इस ब्रहाम्ण ने निभाई अहम भूमिका
उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत विचारों के धन्य व्यक्ति है। जिसके चलते उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए। मगर शैक्षिक प्रमाणपत्रों को पूरी तरह से डिजीटल करने का जो निर्णय मंत्री द्वारा लिया गया है। उसमें पेशेवर साॅफ्टवेयर इंजीनियर अरूण शर्मा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि राज्य में प्रमाणपत्रों को डिजीटल करने का विचार वल्र्ड वाईड रिकागनाइज से आया। जैसा लंदन कालेज आॅफ इकाॅनमिक्स में होता है। कई विकसित देश इसी नीति से शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता को प्राथमिकता देते हैं।

प्ले स्टोर या गूगल से कर सकते है ऐप डाउनलोड

मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि पीबी सिक्योर टीएम ऐप आसानी से गूगल या प्लेस्टोर से निःशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है। इसे कोई भी व्यक्ति आसानी से इस्तेमाल कर सकता है। ऐप डाउनलोड होते ही आप प्रमाणपत्र पर अंकित कोड को स्कैन कर समस्त जानकारिया ले सकते हैं। फर्जी डिग्री बनाने वाले छात्रों को आसानी से पकड़ा जा सकेेगा। साथ ही फर्जी प्रमाणपत्र संबंधी अपराधिक मामलों का ग्राफ भी घटेगा। उन्होंने कहा कि इसी सत्र से सभी प्रमाणपत्रों को डिजीटल किया जा रहा है।

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