वेतन विसंगति दूर करना सरकार के लिए नहीं आसान

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देहरादून। संवाददाता। वेतन विसंगति समिति ने सरकार को राह तो दिखा दी है। मगर इस ओर अम्ल कर पाना सरकार के लिए चुनौति बना हुआ है। रपोर्ट ने राज्य सरकार को वेतन विसंगतियों को सुलझाने की राह सुझा तो दी, लेकिन इस पर अमल करना बड़ी चुनौती है। खासतौर पर कार्मिकों के जिन पांच संवर्गों के वेतन डाउनग्रेड किए गए हैं, उनकी संख्याबल और कर्मचारी संगठनों पर उनके दबदबे से निपटने में सरकार का दम फूलना तय है।

सचिवालय के बाद अब राज्य कर्मचारी आंदोलन का बिगुल फूंकने को तैयार है। पांच संवर्गों की वेतन विसंगति के साथ ही परिषद विभिन्न महकमों में प्लानिंग पूल के फील्ड कर्मचारियों के मसले को वेतन विसंगति समिति में तरजीह नहीं मिलने से खफा हैं। समिति ने ऐसे 20 से ज्यादा प्रस्तावों पर विचार ही नहीं किया है। इसे भांपकर ही राज्य मंत्रिमंडल ने वेतन विसंगति समिति की रिपोर्ट पर मुहर तो लगाई, लेकिन उसे गुपचुप रखने में ही भलाई समझी।

राज्य की नई भाजपा सरकार के सामने छह माह में ही कर्मचारियों के असंतोष के ज्वार से निपटने की चुनौती खड़ी हो गई है। सातवें वेतन को देने की मांग को लेकर तमाम निगम-उपक्रम, निकाय, प्राधिकरण कर्मचारी लामबंद हो रखे हैं।

ऐसे में वेतन विसंगति समिति की रिपोर्ट के बाद विसंगति के समाधान को टकटकी बांधे कर्मचारी संगठन उग्र होते नजर आ रहे हैं। सचिवालय संघ के बाद अब राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद में भी आंदोलन की सुगबुगाहट दिखने लगी है। परिषद ने नौ सितंबर को सख्त रुख दिखाते हुए प्रदेशस्तरीय बैठक बुलाई है।

परिषद के प्रदेश प्रवक्ता अरुण पांडेय के मुताबिक पांच संवर्गों के वेतन डाउनग्रेड किए गए हैं, साथ में प्लानिंग पूल में कार्यरत हजारों फील्ड कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि समिति ने इस पर विचार ही नहीं किया, जबकि केंद्रीय सातवां वेतन आयोग ने साफतौर पर कहा है कि सीधे पद की समानता, केंद्र सरकार के साथ पदों की समानता के साथ ही उक्त दोनों विकल्प के अलावा तीसरे विकल्प के तौर पर शैक्षिक योग्यता, भर्ती के स्रोत और कार्य की प्रवृत्ति के आधार पर वेतन समानता की पैरवी की है। लेकिन, वेतन विसंगति समिति ने इसकी पूरी तरह अनदेखी की है। प्लानिंग पूल के फील्ड कर्मचारियों के पद राज्य का विषय हैं। ये पद केंद्र सरकार में नहीं होते।

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