उत्तरांचल आयुर्वेद विवि की काउंसिलिंग में फेरबदल

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देहरादून। संवाददाता। यूपीएमटी और एआइपीजीईटी की काउंसिलिंग तिथि मंे फिर फेरबदल हुआ है। उत्तराखंड आयुर्वेद विवि ने काउंसिलिंग की तिथियों में बदलाव कर दिया है। कॉलेजों की संबद्धता को लेकर उठ रहे सवालों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। अब यूजी पाठ्यक्रमों की सीटों का आवंटन नौ व पीजी सीटों का आवंटन 10 अक्टूबर को होगा।

उत्तराखंड आयुष प्री मेडिकल टेस्ट यूएपीएमटी 2017 परीक्षा को पास करने केबाद अब परीक्षार्थियों को आयुर्वेद कॉलेजों में सीटों का आवंटन होना है। इसी को लेकर विवि ने बीते दिनों काउंसिलिंग की तिथियां घोषित कर दीं।

विवि द्वारा यूएपीएमटी 2017 मेरिट के आधार पर बीएएमएस, बीएचएमएस व बीयूएमएस पाठ्यक्रमों में राज्य कोटे अखिल भारतीय कोटे की सीटों पर प्रवेश के लिए 24 सितंबर को पंजीकरण व दस्तावेजों का सत्यापन, जबकि 25 सितंबर को सीट आवंटित की जानी थी।

इसी प्रकार पीजी पाठ्यक्रमों में एमडी व एमएस आयुर्वेद पाठ्यक्रम में राज्य कोटे अलग राज्य कोटे की सीटों पर प्रवेश के लिए 25 सितंबर को पंजीकरण व अभिलेख सत्यापन और 26 सितंबर को सीट आवंटन किया जाना था। लेकिन, प्रक्रिया उस वक्त खटाई में पड़ गई जब कॉलेजों की संबद्धता को लेकर सवाल उठने लगे।

दरअसल, अभी किसी भी निजी संस्थान को विश्वविद्यालय से शैक्षणिक सत्र 2017-18 की संबद्धता प्राप्त नहीं है। यूजीसी रेगुलेशन 2009 और उत्तराखंड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी परिनियमावली 2015 के अनुसार प्रत्येक वर्ष संबद्धता लेना अनिवार्य है। मानकों के तहत सभी संस्थाओं को एक लाख रुपये प्रोसेसिंग फीस जमा कर आवेदन करना होता है। उसके बाद निर्धारित मानकों की जांच कर रिपोर्ट तैयार की जाती है जो विवि कुलपति के अनुमोदन के बाद मामले को विवि कार्यसमिति में रखा जाता है।

जिसके अनुमोदन के उपरांत संस्थाओं को संबद्धता प्रदान की जाती है। इन्हीं संबद्ध संस्थाओं को काउंसिलिंग के माध्यम से छात्र आवंटित की जाती हैं। मौजूदा स्थिति में विश्वविद्यालय में कार्यसमिति तो दूर, कोई समिति ही नहीं है। सारे निर्णय मात्र प्रभारी कुलपति और कुलसचिव पर ही निर्भर हैं।

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