‘श्रम मंत्री’ के क्षेत्र में उड़ रहा ‘श्रम कानून’ का मजाक

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कोटद्वार। श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में फैक्ट्री संचालक श्रम कानूनों का जमकर मखौल उड़ा रहे हैं। मंगलवार को भाबर की एक फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट ने इसकी तस्दीक कर दी है। हादसे में जहां दो श्रमिक बेमौत मारे गये, वहीं घायल हुए तीन श्रमिकों को बिना फस्र्ट एड दिये ही उपचार के लिए कोटद्वार से बाहर भेज दिया गया। जशोधरपुर औद्योगिक क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाली तमाम फैक्ट्रियों के एन्ट्री गेट पर नियम-कानूनों को दर्शाने वाले बड़े-बड़े बोर्ड भले ही लगा दिये गये हों, लेकिन कोई भी संचालक इन नियमों को पूरा करता हुआ नजर नहीं आता है। कोटद्वार में स्थित फैक्ट्रियों में काम करने के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार से बड़ी संख्या में लोग काम करने आते हैं। काम देने के नाम पर फैक्ट्री संचालक इन श्रमिकों का जमकर शोषण करते हैं।

बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के इनसे काम लिया जाता है और इस दौरान कोई हादसा होने पर इन्हें कोटद्वार से कहीं और शिफ्ट कर दिया जाता है। कोटद्वार में मंगलवार को हुए हादसे के दौरान श्रमिकों ने अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया कि मालिक लोग हमारे साथ नौकर से भी ज्यादा खराब व्यवहार करते हैं। मेहनताना देने के लिए जहां छत्तीस चक्कर लगवाते हैं वहीं चोटिल होने पर ईलाज कराने से भी कतराते हैं।

बोले मंत्री
श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का कहना है कि फैक्ट्रीयों से संबंधित विभाग के अधिकारियों को जांच करने के आदेश दिये गये हैं। कोई कमी पाई जाती है तो ठोस कार्रवाई की जायेगी।

स्टील प्लांट जांच पूरी होने तक बंद रहेगा
भाबर के जशोधरपुर औद्योगिक क्षेत्र में मंगलवार शाम को पीएल स्टील प्राइवेट लिमिटेड में हुए ब्लास्ट में दो लोगों की जान जाने के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है। एसडीएम कमलेश मेहता ने श्रम विभाग के अधिकारियों को जांच करने का आदेश देते हुए स्टील प्लांट के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। बुधवार को श्रम विभाग की टीम के साथ कोतवाल मनोज रतूड़ी ने फैक्ट्री का निरीक्षण कर हादसे के कारणों को जानने का प्रयास किया।

श्रमिकों ने दबी जुबान में बताया कि फैक्ट्रियों में मानकों के अनुसार काम नहीं होते हैं। चोटिल और गंभीर रुप से घायल श्रमिकों को फैक्ट्री प्रबंधन कोटद्वार के सरकारी अस्पताल के बजाय सीधे नजीबाबाद के प्राइवेट अस्पतालों में भेज देते हैं, जिससे घटना का पता लोगों को नहीं लग पाता है।

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