मुख्यमंत्री का स्पष्ट बयान- लोकायुक्त की कोई जरूरत नहीं

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देहरादून। संवाददाता। चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में लोकायुक्त का गठन करने का वायदा करने वाली भाजपा तथा सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की बात करने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह के स्वर अब इस मुद्दे पर बिलकुल बदल चुके है। उन्होने राज्य में लोकायुक्त के गठन से साफ इन्कार करते हुए कहा है कि राज्य में लोकायुक्त की कोई जरूरत नहीं है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपनी पहली पत्रकार वार्ता में कि राज्य में भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा है और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी सरकार जीरो टालरेंस की नीति पर काम करेगी। यही नहीं उन्होने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए अपनी सरकार के पहले ही विधानसभा सत्र में लोकायुक्त बिल पेश करते हुए कहा था कि भाजपा ने अपने दृष्टिपत्र में 100 दिन में लोकायुक्त गठन का वायदा किया था। अपने चुनावी वायदे पूरा करने के प्रति उनकी सरकार प्रतिबद्ध है।

लेकिन उनके कार्यकाल के डेढ़ साल बाद भी उनका यह बिल विधान परिषद समिति के पास धूल फांक रहा है। अब मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा एक बार फिर आज यह साफ कहा गया है कि उत्तराखण्ड राज्य में लोकायुक्त की कोई जरूरत नहीं है। वह कहते है कि लोकायुक्त गठन से ज्यादा जरूरी है कि भ्रष्टाचार को होने से पहले ही रोका जाये। क्या मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का यह मानना है कि वह राज्य में भ्रष्टाचार पर रोक लगा चुके है या फिर लोकायुक्त का गठन इसलिए नहीं करना चाहते है कि राज्य में भ्रष्टाचार बिना रोक टोक जारी रह सके।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह एक बार पहले भी लोकायुक्त पर विपक्ष द्वारा उठाये गये सवाल के जवाब पर यह कह चुके है कि जब उनके राज में भ्रष्टाचार हो ही नहीं रहा है तब लोकायुक्त की क्या जरूरत है? इस मुद्दे को विपक्ष कांग्रेस द्वारा भी सदन में उठाया जाता रहा है। कांग्रेस नेताओं का तो साफ कहना था कि जब विपक्ष को लोकायुक्त बिल पर कोई आपत्ति नहीं है तो इसे समिति को क्यों सौंपा गया। इससे सरकार की मंशा साफ है कि वह लोकायुक्त का गठन करना ही नहीं चाहती।

कांग्रेस के कुछ नेताओं ने यह तक कहा था कि भाजपा अपने बड़े नेताओं के भ्रष्टाचार में फंसने के डर से अब लोकायुक्त का गठन करने से बच रही है। भ्रष्टाचार पर सरकार की जीरो टालरेंस की नीति की कलई तभी खुल गयी थी जब सरकार ने नितिन गडकरी के पत्र के बाद एनएच 74 की सीबीआई जांच की मांग से हाथ पीछे खींच लिये थे। अब सीएम के इन बयानों से साफ हो गया है कि उत्तराखण्ड की वर्तमान सरकार लोकायुक्त का गठन नहीं करेगी।

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