गरीब परिवारों के नौनिहालों के जीवन का अंधकार मिटा रहे हैं ये स्वयसेवी युवा

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  • हुकुम सिंह उनियाल (प्रधानाध्यापक, पूर्व माध्यमिक विद्यालय राजपुर रोड) का कहना है कि पाठशाला में आने वाले सभी बच्चों के चेहरों पर मुस्कान देखकर मन बेहद प्रफुल्लित होता है। मेरे मन में इन सभी के प्रति स्नेह है। जैसे मेरे बच्चे हैं, वैसे ही ये भी हैं।
  • नीलम (छात्रा कक्षा आठ) का कहना है कि मैं इस स्कूल में कक्षा एक से पढ़ रही हूं। मेरे दो छोटे भाई राजेंद्र व वीरेंद्र भी यहीं पढ़ते हैं। हमारी मां का निधन हो चुका है और पिता ने पढ़ाने से इन्कार कर दिया था। तब रिश्तेदार हमें यहां लेकर आए।  
  • गोविंद बिनवाल (छात्र कक्षा आठ) का कहना है कि मेरे माता-पिता नहीं हैं। चाचा यहां पढ़ाई के लिए ले आए थे। कक्षा एक से यहां पढ़ाई कर रहा हूं। यहां सभी शिक्षक बहुत अच्छा पढ़ाते हैं। पढ़ाई करने में बहुत आनंद आता है।

देहरादून :   गरीब परिवारों के नौनिहालों को यदि शिक्षा मिल जाए तो उनके जीवन में उम्मीदों के दीये झिलमिलाने लगेंगे। कुछ इसी सोच के साथ दून के चार युवा शिक्षा के दीप जलाकर गरीब परिवारों के जीवन में छाए अंधकार को छांटने में जुटे हैं। इस कार्य में उनकी प्रेरणा बने पूर्व माध्यमिक विद्यालय राजपुर रोड के प्रधानाध्यापक हुकुम सिंह उनियाल। आज ये युवा खुद से ज्यादा इन गरीब बच्चों के भविष्य की चिंता करते हैं। इसलिए पूर्व माध्यमिक विद्यालय परिसर में ही बाकायदा टिन शेड डालकर उन्हें जीवन का पाठ पढ़ा रहे हैं। सबसे ज्यादा ध्यान गणित व अंग्रेजी विषय की पढ़ाई पर दिया जाता है, ताकि बच्चों को कहीं मात न खानी पड़े। वर्तमान में 180 बच्चे इस पाठशाला का हिस्सा बन चुके हैं। खास बात यह कि इन सभी बच्चों को पूर्व माध्यमिक विद्यालय में ही प्रवेश दिया गया है।

इस पाठशाला में मलिन बस्ती, कबाड़ बीनने वाले और अन्य जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को पढ़ाया जाता है। इन्हें शिक्षा देने की जिम्मेदारी बिंदाल पुल निवासी सुरभि, पवन मेहता (क्लेमेनटाउन), वरुण शर्मा (प्रेमनगर) और आशुतोष भारद्वाज (देहरादून रोड ऋषिकेश) ने ली हुई है। वर्ष 2013 से वे यहां छठवीं से दसवीं कक्षा तक के बच्चों को हिंदी, सामान्य ज्ञान, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान आदि विषयों की पढ़ाई करा रहे हैं।बच्चों को ऐसे रुचिकर अंदाज में पढ़ाया जाता है कि उन्हें इतिहास जैसा सपाट विषय भी बोझिल न लगे।

यही वजह है कि शुरुआती दिनों में जो बच्चे कक्षा शुरू होते ही भागने लगते थे, आज वे कक्षा शुरू होने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। इनमें बिंदाल बस्ती, सपेरा बस्ती, कौलागढ़ समेत दून हीअन्य मलिन बस्तियों के बच्चे शामिल हैं। जबकि, कई बच्चे पौड़ी व चमोली जिलों से भी हैं। खास बात यह कि पाठशाला में पढ़ रहे लगभग 60 प्रतिशत बच्चों के माता या पिता नहीं हैं।

ये चारों युवा निजी जिंदगी के साथ बच्चों के लिए बराबर समय निकालते हैं। आशुतोष भारद्वाज जहां शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे एक एनजीओ से जुड़े हैं, वहीं सुरभि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (वर्ल्‍ड रेसलिंग फेडरेशन) में इंटर्नशिप कर रही हैं। पवन मेहता एक कंपनी में टेक्नीकल इंजीनियर हैं और वरुण शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज में इंजीनियङ्क्षरग के छात्र।

जॉब व परिवार को समय देने के साथ ही ये चारों युवा नियमित रूप से तीन घंटे का समय जरूरतमंद बच्चों को देते हैं। ये चारों युवा गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए काम करने वाली संस्था ‘मेक अ डिफरेंस’ से भी जुड़े हुए हैं।

आशुतोष बताते हैं कि बच्चों को महीने में दो-तीन दिन पर्सनालिटी डेवलपमेंट की भी क्लास दी जाती है। इसमें बच्चों को बाहरी माहौल में उठने-बैठने, बोल-चाल व अन्य व्यावहारिक बातें सिखाई जाती हैं। इसके अलावा बौद्धिक विकास के लिए उन्हें रीजनिंग का अभ्यास भी कराया जाता है।

खास बात यह कि इस पाठशाला में एक कक्षा में दस से ज्यादा बच्चे नहीं रखे जाते। ताकि एक-एक बच्चे पर खास ध्यान दिया जा सके। सुरभि ने बताया कि आज उनके साथ 80 वालंटियर जुड़ चुके हैं।

युवाओं के अनुसार पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक हुकुम सिंह उनियाल उनका बराबर मागदर्शन करते हैं। स्कूल में टिन शेड समेत अन्य व्यवस्थाएं उनके स्तर से ही की गई हैं। वे धन जुटाने में भी मदद करते हैं। इतना ही नहीं उनियाल के प्रयासों से ही ये चारों युवा इस अनूठी पहल के लिए एकजुट हो पाए। यही वजह है कि वे उनियाल को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं।

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