प्रेम सप्ताह के पहले दिन गुलाब देकर हुआ प्यार का इजहार

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देहरादून। आशीष बडोला। पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढ़ाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय। प्रेम को संत कबीर ने अपने अल्फाजों में किस तरह संजोया है। यह तो आप जान ही गए होंगे। आधुनिक युग में प्रेम की परिभाष भिन्न रूप ले चुकी है। इसको जीने और मनाने का अंदाज भी निराला हो गया है। रोम के संत की याद में मनाये जाने वाला वलेंटाइन वीक दुनिया भर में मशहूर है। जिसे प्रेमी जोड़े 14 फरवरी के दिन यानी वलेंटाइन डे को सार्वजनिक करते हैं।

शाहजहां भी अक्सर मुमताज को गुलाब देकर प्रेम जताया करते थे, गुलाब देकर प्यार का इजहार करने का चलन काफी पुराना है। इस दौर में भी युवा इस पर विश्वास करते हैं। देहरादून के युवाओं ने प्यार के इस सप्ताह की शुरूआत अपनी प्रेमिका को गुलाब देकर पूरी कर दी है।

ऐसे ही एक प्रेमी जोड़े की कहानी आज हम प्रेम सप्ताह के पहले दिन रोज डे पर प्रकाशित कर रहे हैं। ये कहानी है एक डांस टीचर तुरूप्ता और पियूष के प्रेम की। आज से ठीक एक साल पहले यह दोनों अजनबी थे। बंजारवाला के निवासी यह दोनों युवा अक्सर एक-दूसरे को देखा करते थे। देखते ही देखते कब एक-दूसरे को दिल दे बैठे इन्हें भी विश्वास न हुआ। मगर अब यह प्रेमी जोड़ा अपना पहला वलेंनटाइन मनाने जा रहा है। पियूष कहते हैं प्यार का कोई अंत नहीं है, न इसकी शुरूआत का पता चलता है।

कब वो तुरूप्ता को दिल दे बैठे उन्हें खुद नहीं पता, प्यार होने के शुरूआती पल उन्हें आज याद भी नहीं है, बस वो जीवन पर्यन्त प्रेम की गहराईयों में जीना चाहते हैं। वहीं तुरूप्ता कहती हैं कि प्रेम उनके जीवन के लिए सकारात्कम ऊर्जा का प्रतीक है। जिसे आखिरी सांस तक जीना चाहती है। आज रोज डे पर पियूष ने जब तुरूप्ता को गुलाबों को गुलदस्ता दिया तो उन्हें लगा जैसे पूरे संसार की खुशिया उनकी झोली में आ गई हो। सच में प्रेम का अहसास कितना अद्भुत है, इसका अंदाजा इस युवा जोड़े के प्रेम से लगाया जा सकता है।

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