पश्चिम बंगाल कांग्रेस व टीएमसी का गठबंधन खटाई में, कांग्रेस अध्यक्ष सोमेंद्र नाथ मित्र ने कहा टीएमसी के साथ गठबंधन नहीं होगा

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पश्चिम बंगाल में इस समय ममता बनर्जी को भाजपा से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। बीजेपी ने एक तरफ जहां तृणमूल के नेताओं को तोड़ना शुरू कर दिया है, वहीं मतों के ध्रुवीकरण के भी प्रयास तेज हो रहे हैं।

ऐसे में ममता के समक्ष जहां बीजेपी की चुनौती है, वहीं कांग्रेस और वामदल यदि मिलकर चुनाव लड़ते हैं, तो ममता की राह कठिन होगी।

सूत्रों का कहना है कि जिस प्रकार की चुनौतियां ममता के सामने हैं, ऐसे में वह भी कांग्रेस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा सकती है। हालांकि, कांग्रेस की राज्य इकाई इसके पक्ष में कतई नहीं है।

कोलकाता : पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष सोमेंद्र नाथ मित्र ने दो टूक कहा है कि हम में से कोई भी टीएमसी के साथ गठबंधन नहीं चाहता है। राहुल जी ने कहा है कि अगर गरिमा के साथ गठबंधन होता है तो वहां गठबंधन करेंगे, अन्यथा नहीं होगा। टीएमसी के साथ गठबंधन नहीं होगा, यह अंतिम फैसला है।

वहीं पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा की चुनौती से निपटने के लिए माकपा और कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। हालांकि, केरल में दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में होंगे। पश्चिम बंगाल में चुनावी तैयारियों पर जल्द दोनों दलों के बीच बातचीत होने की संभावना है।

पश्चिम बंगाल में इस समय ममता बनर्जी को भाजपा से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। बीजेपी ने एक तरफ जहां तृणमूल के नेताओं को तोड़ना शुरू कर दिया है, वहीं मतों के ध्रुवीकरण के भी प्रयास तेज हो रहे हैं। ऐसे में ममता के समक्ष जहां बीजेपी की चुनौती है, वहीं कांग्रेस और वामदल यदि मिलकर चुनाव लड़ते हैं, तो ममता की राह कठिन होगी। सूत्रों का कहना है कि जिस प्रकार की चुनौतियां ममता के सामने हैं, ऐसे में वह भी कांग्रेस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा सकती है। हालांकि, कांग्रेस की राज्य इकाई इसके पक्ष में कतई नहीं है। लेकिन वामदलों के साथ आने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इसलिए वामदलों को उम्मीद है कि कांग्रेस के साथ उनका चुनावी गठबंधन असरदार रहेगा।

बंगाल में बीजेपी के वोट प्रतिशत में हो सकता है इजाफा

पश्चिम बंगाल में यदि 2014 के लोकसभा चुनावों के आंकड़ों को देखें तो तृणमूल कांग्रेस को 39 फीसदी मत मिले थे और उसने 42 में से 34 सीटें जीती थीं। जबकि माकपा और अन्य वामदलों को करीब 30 फीसदी वोट मिले थे लेकिन वह दो ही सीटें जीत सके। कांग्रेस को 9.58 फीसदी वोट मिले और उसने चार सीटें जीती। जबकि भाजपा ने 16.80 फीसदी वोट हासिल किए और दो सीटें जीती।

इस प्रकार कांग्रेस और वामदलों के कुल वोट तृणमूल के वोटों के बराबर होते हैं। जबकि भाजपा को लेकर यह माना जा रहा है कि उसका वोट प्रतिशत बढ़ सकता है। ऐसे में कांग्रेस और वामदल मिलकर ममता की घेराबंदी की उम्मीद में हैं। यह पूछने पर कि बातचीत कब होगी, येचुरी ने कहा कि अभी समय है। उचित समय आने पर बातचीत होगी।

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