गन्ना किसानों की मांग को लेकर हरीश रावत धरने पर बैठे

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देहरादून। संवाददाता। गन्ना किसानों का बकाया भुगतान और अन्य समस्याओं तथा रूड़की में जहरीली शराब के सेवन से हुई 38 लोगों की मौत के मुद्दे पर सरकार के रवैये से नाराज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आज अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत अपने समर्थकों के साथ धरना देने के लिए विधानसभा पहुंचे। लेकिन सुरक्षा बलों द्वारा रिस्पना पुल से पहले ही उन्हे बैरेकेटिंग पर रोक दिया गया। रोके जाने से आक्रोशित हरीश रावत वहीं अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गये और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राज्य के गन्ना किसानों का तीन सौ करोड़ का भुगतान बकाया है पैसा न मिलने से किसान और मिल मजदूर परेशान है। उन्होने कहा कि वह लम्बे समय से सरकार को चेतावनी दे रहे थे। लेकिन सरकार ने किसानों की समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होने कहा कि केन्द्र की मोदी व राज्य की त्रिवेन्द्र सरकार पूरी तरह से नाकाम साबित हो चुकी है किसान और नौजवान सभी परेशान है।

उन्होने कहा कि उन्होने पहले ही घोषणा कर दी थी कि अगर सरकार गन्ना किसानों के बकाया भुगतान की व्यवस्था नहीं करती है तो वह सांकेतिक धरना व उपवास करेंगें। उन्होने कहा कि किसानों की आय दो गुना करने का जुमला छोड़ने वाली सरकार किसानों को उनके बकाया धन का भुगतान तक नहीं कर पा रही है। उन्होने कहा कि रूड़की में जहरीली शराब पीकर 38 लोगों की मौत हो गयी लेकिन सरकार उनकी बात तक नहीं सुनना चाहती है उन्होने कहा कि इस जहरीली शराब कांड में सरकार और प्रशासन दोनों की संलिप्तता है उन्होने पीड़ित परिवार को पांच पांच लाख रूपया मुआवजा देने और पीड़ितों के परिजनों को सरकारी नौकरी देने की मांग की। समाचार लिखे जाने तक हरीश रावत अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठे थे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी जारी थी।

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