पं. दीनदयाल योजना के तहत 60 गांव  खुशहाल होंगे

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देहरादून। संवाददता। उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों को मजबूती देने के लिए विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में विज्ञान की क्रांति न सिर्फ गांवों तक पहुंचेगी, बल्कि तकनीक के बल पर गांव हर तरह से आत्मनिर्भर भी बन सकेंगे।

पलायन रुकेगा और गांवों से दूर होती जा रही खुशहाली लौट पाएगी। इस मंशा के साथ केंद्रीय विज्ञान एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने उत्तराखंड को केंद्र में रखते हुए पं. दीन दयाल उपाध्याय विज्ञान ग्राम संकुल परियोजना शुरू की है।

नाम के अनुरूप यह परियोजना महान विचारक पं. दीन दयाल उपाध्याय को समर्पित की गई है। पं. उपाध्याय का जन्म दिवस 25 सितंबर को है और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय इस वर्ष को उनकी जन्म शताब्दी वर्ष के रूप में भी मना रहा है।

परियोजना को लॉन्च करते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने जानकारी दी कि पहले फेज में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में गांव के चार कलस्टर (समूह) के रूप में किया जा रहा है।

उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) को परियोजना के संचालन की जिम्मेदारी दी जा रही है। यूकॉस्ट के सहयोग के लिए ग्रामोद्योग नेटवर्क, सुरभि फाउंडेशन व उत्तराखंड उत्थान परिषद समेत अन्य विशेषज्ञ संगठन भी इस दिशा में काम करेंगे।

गढ़वाल व कुमाऊं मंडल के चार कलस्टर में 60 गांवों का चयन किया जाएगा और यहां की एक लाख की आबादी को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित किया जाएगा। विशेषज्ञ इन गांवों की चुनौतियों की जानकारी जुटाएंगे और स्थानीय संसाधनों के आधार पर उनके निराकरण का प्रयास करेंगे।

कुल मिलाकर आत्मनिर्भरता का एक मॉडल तैयार किया जाएगा, जिसे अन्य पर्वतीय राज्यों में भी लागू किया जाएगा।

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