खुले में शौच मुक्त करने का संकल्प रहा अधूरा- हरीश रावत

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देहरादून। संवाददाता। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा की सरकार द्वारा जो वर्तमान में बजट पेश किया गया है वह एक चुनावी बजट है जिसमें सिर्फ केन्द्रीय योजनाओं पर कैसे काम किया जाये इसके अलावा किसी बात का ख्याल नहीं रखा गया है। उन्होने कहा कि भाजपा सरकारों का काम ढोल का पोल है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत राज्य सरकार राज्य को कागजों में खुले में शौच से मुक्त कर चुकी है। जिसकी सच्चाई अब सामने आ रही है। सरकार ने खुद माना है कि राज्य में अभी भी 384 स्कूल ऐसे है जिनमें शौचालय तक नहीं है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि सरकार भले ही अपने स्वच्छता अभियान और खुले में शौच मुक्त राज्य का ढिंढोरा पीट रही हो लेकिन सूबे के गांवों से लेकर शहरों में तक खुले में शौच जारी है। उन्होने कहा कि सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि राज्य के 384 स्कूलों में अभी तक शौचालय की सुविधा नहीं है ऐसे में सरकार के दावों की पोल खुद ही खुल जाती है। उन्होने कहा कि राज्य में बेरोजगारों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है और सरकार अपने कौशल विकास से युवाओं का कल्याण कर रही है। सरकार ने इस बजट में रोजगार देने के लिए क्या किया है?

उन्होने कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा का ही नहीं सरकार ने कृषि बजट में भी कटौती कर दी है। राज्य के किसानों को सरकार उनके गन्ने का बकाया भुगतान तो नहीं कर पा रही है लेकिन किसानों को लुभाने के लिए उनके खाते में दो दो हजार रूपये नगद डालने पर सरकार का ध्यान जरूर है। उन्होने कहा कि अच्छा होता कि सरकार गन्ना किसानों का बकाया भुगतान करने का रास्ता निकालती। उन्होने कहा कि किसानों का कर्ज उनकी बड़ी समस्या है और उनकी दूसरी बड़ी समस्या है कि उनकी फसलों का उचित मुल्य न मिल पाना। लेकिन 2022 तक किसानों की आय दो गुना करने की बात कहने वाली सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। उन्होने सवाल किया कि क्या किसानों के दो हजार रूपये देने से ही उनकी आय दो गुना हो जायेगी।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के पास विकास का कोई विजन है ही नहीं। राज्य की सड़कें पुल और पुलिस टूटे पड़े है लोगों को आवागमन में भी परेशानी हो रही है। सरकार द्वारा लोकनिर्माण विभाग के बजट में भी कटौती की जा रही है। उन्होने कहा कि यह बजट अत्यन्त ही निराशाजनक और विकास विरोधी है।

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