विश्व संवाद केंद्र की गोष्ठी में डा. सिन्हा ने कहा ; कश्मीर भारत में रहेगा, उमर, महबूबा सोचें उन्हें कहाँ रहना है  

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भारतीय लोकतंत्र को मिली व्यक्तित्व प्रधानता के कारण अनेक नुकसान हुए। डा. सिन्हा ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के सामने व्यक्तिवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद व साम्प्रदायिकता सबसे बड़ी चुनौती है। व्यक्तिवाद के कारण लोकतंत्र व्यक्ति विशेष का बंधक बन जाता है। यह न समाज हित में है और न देश हित में।

देहरादून (विश्व संवाद केन्द्र) : आएसएस विचारक तथा राज्यसभा सांसद डा. राकेश सिन्हा ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। कश्मीर भारत में ही रहेगा। उमर अब्दुला और महबूवा मुफ्ती जैसे लोगों को तय करना है कि उन्हें कहां रहना है। डा. सिन्हा ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के सामने व्यक्तिवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद व साम्प्रदायिकता सबसे बड़ी चुनौती है। व्यक्तिवाद के कारण लोकतंत्र व्यक्ति विशेष का बंधक बन जाता है। यह न समाज हित में है और न देश हित में।

एएमएन घोष सभागार में विश्व संवाद केन्द्र द्वारा ‘‘लोकतंत्र के समक्ष उपस्थित चुनौतियां’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता डा. सिन्हा ने यह बात कही। उन्होंने पुलवामा में शहीद भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत की बलिदानी परम्परा रही है। उन्होंने लोकमान्य तिलक के जीवन का प्रसंग बताते हुए कहा कि जवान पुत्र की मौत भी तिलक को अंग्रेज सरकार के काले कानून के विरुद्ध लिखने से नहीं रोक सकी। डा. सिन्हा ने तिरंगे झंडे के लिए बलिदान हुए बिहार के सात बालकों का प्रसंग सुनाया कि कैसे वे एक के बाद एक तिरंगे झंडे के सम्मान के लिए अंग्रेजों की गोली के शिकार बने।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के चारों शहीद भी उसी बलिदानी परम्परा के वाहक थे। डा. सिन्हा ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र को मिली व्यक्तित्व प्रधानता के कारण अनेक नुकसान हुए हैं। इससे जातिवाद, क्षेत्रवाद व प्रांतवाद को बढ़ावा मिला तथा साम्प्रदायिकता का जहर समाज में व्याप्त हो गया। उन्होंने कहा कि पं. दीनदयाल ने चुनाव हारना स्वीकार किया लेकिन जातिवाद के नाम वोट मांगना अस्वीकार कर दिया। परिणामस्वरूप वह चुनाव हार गए।

इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि देश का मन है कि पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए। देश के लिए बलिदान होने वालों में उत्तराखंड का हिस्सा 10 प्रतिशत से अधिक है। करगिल युद्ध में उत्तराखंड के 40 प्रतिशत सैनिक शहीद हुए थे। केन्द्र सरकार पाकिस्तान की हरकतों के खिलाफ खड़ी है। विश्व भी भारत के साथ है। मुख्य अतिथि महापौर सुनील उनियाल गामा ने भी विचार व्यक्त किये।

विश्व संवाद केन्द्र के निदेशक विजय कुमार ने लोकतंत्र के समक्ष उपस्थित चुनौतियां विषय की भूमिका रखी। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। विश्व संवाद केन्द्र की ‘‘वार्षिकी 2018’ के सम्पादक डा. देवेन्द्र भसीन ने पत्रिका के सन्दर्भ में जानकारी दी। अतिथियों ने पत्रिका का लोकार्पण किया।

इस मौके पर संवाद केन्द्र के सचिव राजकुमार टांक, अध्यक्ष सुरेन्द्र मित्तल, राजेन्द्र पंत, प्रांत प्रचारक युद्धवीर, महानगर संघचालक आजाद सिंह रावत, महानगर कार्यवाह विशाल जिंदल, महानगर प्रचार प्रमुख हिमांशु अग्रवाल, सुखराम जोशी, रीता गोयल, चन्द्रगुप्त विक्रम, उद्योगपति अशोक विंडलास और राकेश ओबराय आदि उपस्थित थे।

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