बागेश्वर निवासी कुलदीप शाह गंगोल की डॉक्यूमेंट्री न्यूयार्क में मचा रही धूम

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देहरादून। संवाददाता। मूल रूप से चौक बाजार बागेश्वर निवासी कुलदीप गंगोल ने ग्रामीण क्षेत्र में हो रहे पलायन को लेकर डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई है। जिसका नाम घोस्ट विलेजेज आफ हिमालियाज रखा गया है। जो कपकोट ब्लॉक खोलाखेज गांव निवासी 89 वर्षीय अम्मा जी के जीवन पर आधारित है। इस फिल्म को न्यूयार्क फिल्म फेस्टिवल में बेंस्ट शार्ट फिल्म का आर्डियंस अवार्ड मिल चुका है। जिससें कुलदीप का आत्मविशास सातवें आसमान पर है। वहीं अब इस फिल्म को उन्होंने कई अन्य अवार्ड में शामिल होने के लिए भेजा है। उन्हें उम्मीद है कि फिल्म आने वाले समय में विश्वभर में धूम मचा सकती है।

हमारे संवाददाता से फोन पर हुई खास बातचीत में कुलदीप ने बताया कि वह चार साल की उम्र में बागेश्वर से नैनीताल आ गये थे। जहां से उन्होंने मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा सेंट जोजेफ एकेडमी से उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने पूर्ण से बीकॉम की डिग्री हासिल की। फोटोग्राफर और डॉक्यूमेंट्री बनाने के शौकिन कुलदीप ने फिर न्यूयार्क का रूख किया। जहां से उन्होंने एक साल का डॉक्यूमेंट्री कोर्स किया। अनुभव लेने के बाद वापस बागेश्वर लौटे और कपकोट आकर अम्मा जी की दिनचर्या को करीब से समक्षा। पहले तो अम्मा जी उनसे बात करने को तैयार नहीं हुई। मगर जब उन्होंने बताया कि वह कुमांऊनी बोली जानते हैं, तो अम्मा ने उनके साथ अपनी दिनचर्या में होने वाली परेशानियां से अवगत कराया। बस यही से शार्ट डाक्यूमेंट्री बनाये जाने की पटकथा का आगाज हुआ। डाक्यूमेंट्री में अकेली पहाड़ी बुजुर्ग महिला के कष्ट भरे जीवन को भावात्मक पहलू के साथ दृशाया गया है। ये भी बताया गया कि पहाड़ों में जंगली जानवरों से किस तरह का भय होता है। जीवन यापन हर क्षण चुनौतीपूर्ण बना रहता है।

जिस वजह से लोग पहाड़ों से पलायन करने को मजबूर हो चले हैं। कुलदीप के कैमरे की नजर किस तरह अम्मा के जीवन को दृशाती है बस यही अंदाज न्यूयार्क में सभी के मन को मोह गया। कुलदीप बताते है कि उनके पिता आलोक शाह गंगोल पर्वतारोही हैं, उनका परिवार काफी बड़ा और संयुक्त है। उन्हें पहाड़ों में होते पलायन से धक्का लगा है। ऐसा उनके बचपन के समय नहीं था। बताया कि फिल्म को करीब 7 फिल्म फेस्टिवल में समिट किया गया है। जिससें उन्हें अच्छे परिणाम आने की उम्मीद है। उनकी डाक्यूमेंट्री का ट्रेलर सोशल मीडिया में काफी पसंद किया जा रहा है। जिसे हफ्ते भर में एक लाख से ज्यादा लोगों ने पसंद किया है। डाक्यूमेंट्री कुमांऊनी के साथ ही अन्य कई भाषाओं में डब की जा चुकी है। जल्द फिल्म को यू-ट्यूब पर लांच किया जायेगा। फिलहाल कुलदीप वर्तमान में अपने खर्चे पर न्यूयार्क में निवासरत हैं और जन्मभूमि उत्तराखण्ड के लिए कुछ करना चाहते हैं।

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