मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने स्वामी चिदानंद महाराज का आर्शीवाद लिया

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देहरादून। संवाददाता। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई सोमवार को परमार्थ निकेतन पधारे। न्यायाधीश रंजन गोगोई ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज का दर्शन किया। साथ ही पराली, प्रदूषण से परिवर्तन की यात्रा, पी लो पानी, हैंडवाशिंग, जियो ट्यूब तकनीक, हरित शवदाह गृह, स्वच्छ, हरित और समृद्ध भारत तथा अन्य पर्यावरण के मुद्दों पर चर्चा हुई।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने परमार्थ गंगा तट पर गंगा पूजन किया। परमार्थ निकेतन में जब अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव चल रहा है, अनेक देशों के योग प्रेमी पधारे है। आज भारत के मुख्य न्यायाधीश माननीय रंजन गोगोई ने परमार्थ निकेतन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंटवार्ता की।

माननीय रंजन गोगोई जी को परमार्थ में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में सम्पन्न होने वाली विभिन्न गतिविधियों के बारे में स्वामी जी महाराज ने विस्तार से बताया। उन्होने परमार्थ गंगा तट पर महाशिवरात्रि के पावन पर्व के अवसर पर माँ गंगा का विशेष पूजन किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने पराली जलाने से बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुये पराली से ईको फ्रेंडली घर बनाने, जियो ट्यूब तकनीक, जल को स्वच्छ और पीने योग्य करने वाली ’’पी लो पानी’’ जल मन्दिर, ’’हैंडवाशिंग स्टेशन’’, हरित शवदाह गृह तथा परमार्थ निकेतन द्वारा संचालित स्वच्छता का संदेश देने वाली अन्य गतिविधियां पर चर्चा की।

स्वामी जी महाराज ने कई न्यायाधीशों से चर्चा करते हुये बताया कि प्रयागराज कुम्भ के दौरान पूरे मेला क्षेत्र में 100 से अधिक ’पी लो पानी’ वाले जल मन्दिर लगाये गये थे इसकी विशेषता है कि इसमें 90 प्रतिशत स्वच्छ जल प्राप्त होता है तथा 10 प्रतिशत जल बाहर निकलता है जिसका उपयोग हैंडवाशिंग के लिये किया जाता है। जिससे कुम्भ मेला कुछ हद तक प्लास्टिक बॉटल मुक्त मेला साबित हुआ।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ’’हरियाणा में पराली को जलाने की समस्या विकराल है, उसका समाधान निकालना जरूरी है। पराली से होने वाले प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है, हम इस ओर कार्य कर रहे है। एग्री बोर्ड के माध्यम से पांच से सात दिनों में एक सुन्दर मकान तैयार किया जा सकता है जो कि वाटरप्रूफ होता है, साथ ही ये बोर्ड लगभग 1100 सेल्सियस तक तापमान सहन कर सकते है, कीड़े और दीमक का खतरा भी नहीं रहता तथा इससे बने घरों का तापमान भी बाहर के मुकाबले कम रहता है।

स्वामी जी ने जानकारी दी, पराली से बोर्ड भारत में ही तैयार किये जा रहे है इनसे महज तीन लाख रूपये में 300 वर्गफीट का मकान तैयार किया जा सकता है। पराली का उपयोग कर हम वायु प्रदूषण को कम करने के साथ स्लम एरिया और झुग्गी-झोपड़ी वाले स्थानों पर सुन्दर मकान बना सकते है। जिससे भारत के यशस्वी और ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का ’’हर परिवार का अपना घर हो’’ का सपना भी पूरा किया जा सकता है।

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