चार दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समापन हुआ

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हरिद्वार। संवाददाता। चार दिन तक चले देशभर के शक्तिपीठों, प्रज्ञा संस्थानों और मण्डलों के जिला समन्वयक व जोनल, उपजोन प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समापन हुआ। संगोष्ठी में अखिल विश्व गायत्री परिवार के देश भर के संस्थानों द्वारा चलाये जा रहे गतिविधियों की जहाँ समीक्षा हुई, वहीं पर्यावरण संरक्षण, स्वावलंबन, नारी जागरण, युवा जागरण आदि मिशन द्वारा संचालित विभिन्न आन्दोलनों को व्यापक स्तर पर फैलाने की रूपरेखा पर भी गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने मार्गदर्शन किया।

समापन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि आज समाज और राष्ट्र को यश की कामना से मुक्त सच्चे युग शिल्पियों की जरुरत है। उन्होंने कहा कि अनुशासन और आत्मीयता का भाव ही समाज और राष्ट्र को मजबूत बना सकता है। व्यक्ति का व्यक्तित्व ही उसे ऊँचा उठाता है। इसलिए व्यक्तित्व को सँवारना हर युगशिल्पी का प्रमुख पाथेय होना चाहिए।

डॉक्टर पंड्या ने कहा कि हर समाजसेवी को पुत्रैषण, वित्तैषण और लोकैषणा से मुक्त होकर कार्य करना चाहिए। युगशिल्पियों और स्वयंसेवियों को तो इससे बचना ही चाहिए। उन्होंने युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा लिखित अखंड ज्योति पत्रिका के 1985 के मार्च माह का जिक्र करते हुए कहा कि आने वाले समय में यज्ञ और गायत्री को घर-घर पहुँचाना है, ताकि देश का हर बच्चा संस्कारित बने और प्रत्येक गाँव मुहल्ला आस्तिकता की भावना से ओतप्रोत हो। उन्होंने 2 जून 2019 को अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा देश भर में एक साथ एक समय पर 2 करोड़ घरो में गायत्री महायज्ञ आयोजित कराने हेतु देश भर के परिजनों का अह्वान किया।

इससे पूर्व युगऋषि की वसीयत और विरासत विषय पर बोलते हुए देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि निःस्वार्थ भाव से समाजोत्थान में कार्य करने से यश की प्राप्ति होती है। पूज्य आचार्यश्री ने इन दिनों हमें ऐसे ही यश कमाने का पावन अवसर दिया है। हमें इस समय का सदुपयोग करते हुए अपनी सक्रियता बढ़ानी चाहिए।

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