जसवंत के बेटे मानवेंद्र कांग्रेस के टिकट पर मैदान में

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दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 की लड़ाई में इस बार राजस्थान में कई ऐसी सीटें हैं जिनपर हर किसी की नजर लगी हुई है। कांग्रेस के दबदबे वाली बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र ऐसी ही एक सीट है। भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता रहे व पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह की राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। यहां से उनके बेटे मानवेंद्र सिंह कांग्रेस से उम्मीदवार हैं। भाजपा के नए उम्मीदवार पूर्व विधायक कैलाश चैधरी को मैदान में उतारा है।

मानवेंद्र फिर मैदान में

जसवंत सिंह के पुत्र पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर फिर चुनाव मैदान में हैं। मानवेंद्र 2004 चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। इस बार उनका सीधा मुकबला कैलाश चैधरी से है। इन दोनों प्रमुख राजनीतिक दल के अलावा एक प्रत्याशी बीएमयूपी पार्टी और चार निर्दलीय उम्मीदवार सहित कुल सात प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। असली मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। यहां इस बार भी कोई महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं है।

विधानसभा सीटें

बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र में बाड़मेर की 7-शिव, बाड़मेर, वायतू, पचपदरा, सिवाना, गुढ़ामालानी चैहटन और जैसलमेर विधानसभा सीट शामिल हैं। यहां आठ में से सात (सिवाना) विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस का कब्जा है। बायतू से विधायक चुने गये हरीश चैधरी राज्य में राजस्व मंत्री हैं जबकि शिव से अमीन खां व गुडामालानी से हेमाराम चैधरी मंत्री रह चुके हैं। बीजेपी के मौजूदा सांसद कर्नल सोनाराम बाड़मेर सीट पर कांग्रेस विधायक मेवाराम जैन से 30000 मतों के भारी अंतर से पराजित हुए। जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बाड़मेर छोड़ सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी।

सियासी इतिहास

बाडमेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र में अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने नौ बार जीत हासिल कर अपना राजनीतिक दबदबा बनाया जबकि भाजपा केवल दो बार चुनाव जीत सकी है। इनके अलावा दो बार निर्दलीय, एक बार जनता पार्टी, जनता दल एवं रामराज्य परिषद पार्टी ने चुनाव जीता है। इनमें वर्ष 1952 में पहली लोकसभा का चुनाव जज रहे व पूर्व जागिरदार भवानी सिंह ने निर्दलीय के रुप में जीता। वर्ष 1957 में निर्दलीय रघुनाथ सिंह और 1962 में रामराज्य परिषद के तान सिंह विजय रहे जबकि लोकसभा चनुाव शुरू होने के 15 साल बाद वर्ष 1967 में कांग्रेस के अमृत नाहटा चुनाव जीते। इसके अगला चुनाव भी उन्होंने जीता।

2014 चुनाव
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मोदी लहर में 40.09 फीसदी और कांग्रेस को 18.12 फीसदी वोट मिले। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कर्नल सोनाराम चैधरी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ने वाले जसवंत सिंह को 87,461 मतों से हराया। भाजपा के कर्नल सोनाराम को 4,88,747 और जसवंत सिंह को 4,01,286 वोट मिले थे। जबकि 2,20,881 मतों के साथ कांग्रेस सांसद हरीश चैधरी तीसरे स्थान पर रहे।

सोनाराम का रिपोर्ट कार्ड

बाड़मेर सांसद कर्नल सोनाराम चैधरी भाजपा के टिकट पर सांसद बनने से पहले तीन बार कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। राजनीति में आने से पहले सोनाराम चैधरी भारतीय सेना में 26 साल तक रह चुके हैं। उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई जोधपुर से एमबीएम इंजिनियरिंग कॉलेज से पूरी की। साल 2014 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक सोनाराम चैधरी के पास कुल 17.46 करो़ड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति थी।

जातीय समीकरण और कुल मतदाता

यहां 91.67 प्रतिशत ग्रामीण और 8.33 प्रतिशत शहरी आबादी। कुल आबादी का 16.59 फीसदी अनुसूचित जाति और 6.77 फीसदी अनुसूचित जनजाति हैं। बाड़मेर लोकसभा सीट पर करीब 17 लाख मतदाताओं में से 3.5 लाख जाट, 2.5 लाख राजपूत, 4 लाख एससी-एसटी, 3 लाख अल्पसंख्यक और शेष अन्य जातियों के मतदाता हैं। वहीं 2014 लोकसभा चुनाव के आंकड़ो के मुताबिक बाड़मेर में 8,95,593 पुरुष और 7,81,989 महिला मतदाता हैं।

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