मुख्य न्यायाधीश पर लगे आरोपों के प्रकाशन पर रोक लगाने वाली याचिका हाईकोर्ट में खारिज

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दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों से जुड़ी खबरें प्रकाशित करने से मीडिया को रोकने की मांग कर रही याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामला शीर्ष अदालत में पहले से विचाराधीन है और किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।

पीठ ने याचिका दाखिल करने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया से कहा, उच्चतम न्यायालय जाइए। एनजीओ ने अपनी याचिका में कहा कि प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ लगे आरोप सीधे भारतीय न्यायिक प्रणाली पर प्रहार हैं। याचिका में तीन न्यायाधीशों वाली समिति की जांच का कोई निष्कर्ष निकलने तक इन आरोपों के प्रसारण या प्रकाशन से मीडिया को तत्काल रोकने की मांग की गई थी।

उच्चतम न्यायालय की एक पूर्व महिला कर्मचारी की ओर से लगाए गए इन आरोपों की जांच शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों वाली समिति कर रही है जिसने पिछले शुक्रवार को मामले में पहली सुनवाई की। याचिका में इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के अलावा सोशल मीडिया मंचों के लिए भी निर्देश की मांग की गई है। इस याचिका में विधि एवं न्याय मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, दिल्ली सरकार, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और दिल्ली पुलिस आयुक्त को पक्ष बनाया गया है।

इसमें व्हाट्सऐप, गूगल, यूट्यूब एवं लिंक्डइन कॉर्पोरेशन और समाचार वेबसाइट स्क्रोल डॉट इन के लिए निर्देश मांगे गए हैं। याचिका में आरोप लगाया गया कि इस कृत्य में राष्ट्र विरोधी तत्वों की संलिप्तता का संदेह है और अगर इन आरोपों का प्रकाशन नहीं रोका गया तो, भारतीय न्यायिक प्रणाली पर से लोगों का भरोसा उठ जाएगा’ तथा राष्ट्र एवं उसके लोगों को हुए बड़े नुकसान की भरपाई नहीं हो पाएगी।

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