खेत जोता नहीं, खाद के बिना उगा दी गेहूं और जौ की फसल

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टिहरी । खेत की बिना जुताई और बिना खाद के अच्छी पैदावार हो जाए। शायद ही किसी को इस बात पर विश्वास हो, लेकिन यह हकीकत है। ऐसा कर दिखाया है बीज बचाओ आंदोलन के संयोजक विजय जड़धारी ने। उन्होंने अपने खेतों में बिना हल लगाए गेहूं व जौ की फसल उगाई और अच्छा उत्पादन भी प्राप्त किया।

विजय जड़धारी ने अपने खेतों में नया प्रयोग करते हुए बिना खेतों की जुताई किए उसमें गेहूं व जौ की फसल उगाई और अच्छी पैदावार प्राप्त की। विजय जड़धारी ने नवंबर माह में धान की फसल लेने के बाद खाली हुए खेतों में गेहूं व जौ की बुआई की।

उसके बाद खेतों को धान के पराल से ढक दिया। खास बात यह रही कि खेतों में हल नहीं लगाया। कुछ समय बाद धान का पराल भी खेतों में सड़ गया और गेहूं उग आए। देखते ही देखते गेहूं की फसल तैयार होने लगी। अभी कुछ दिनों पूर्व उन्होंने बिना खेतों की जुताई करे और बिना खाद के उगाए गेहूं व जौ की फसल की कटाई की।

इसमें नये तरीके से फसल उगाने पर अच्छा उत्पादन भी प्राप्त हुआ। जिस खेत में पुराने तरीके से फसल उगाने पर जहां एक बोरी गेहूं पैदा होता था। वहीं नए तरीके से उस खेत में डेढ़ बोरी गेहूं का उत्पादन हुआ।

विजय जड़धारी का कहना है कि इस तरीके से गेहूं व जौ की फसल उगाने पर खाली खेत में बीज बो देते हैं। उसमें हल लगाकर जुताई नही करते हैं। केवल खेत में उगे खरपतवार, घास आदि को हटा देते हैं।

बीज बोने के बाद धान के पराल से खेत पूरी तरह ढक लेते हैं। कुछ समय बाद पराल भी खेतों में ही सड़ जाता है और वह खाद का काम करता है। फिर गेहूं या जौ उग आते हैं और कुछ माह बाद फसल तैयार हो जाती है।

उनका कहना है कि इस तरह का प्रयोग पहली बार किया गया जो पूरी तरह सफल रहा है। इस प्रयोग को लेकर औद्यानिकी एवं वानिकी विवि रानीचैरी के वैज्ञानिक डॉ. राजेश बिजल्वाण का कहना है कि यह तरीका प्रकृति के अनुरूप खेती करने का है। इसे बिना लागत की खेती भी कह सकते हैं। प्रयोग करने से कुछ नया जरूर निकलता है।

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