एचआरडी मिनिस्टर निशंक की किताब पढ़ाई जाती है विदेशों में

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देहरादून। संवाददाता। उत्तराखण्ड के हरिद्वार से दूसरी बार सांसद बने रमेश पोखरियाल निशंक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में मानव संसाधन विकास मंत्री। डपदपेजमत) के रूप में चुना जाना उनकी प्रतिभा का सही सम्मान कहा जा सकता है. वह शिक्षक और पत्रकार रहे हैं. वह साहित्य लेखन में आज भी रमे हैं. निशंक को तो देश में राजनीतिक वजहों से पहचान मिली है, लेकिन पूरी दुनिया में उन्हें पहचान दिलाई है उनके साहित्य ने. उनकी 62 से ज्यादा किताबें छप चुकी हैं.

पोखरियाल के उपन्यास पर फिल्म भी बन चुकी है. उनके गीतों को रवीन्द्र जैन और लता मंगेशकर ने आवाज दी है. विदेशों में उनकी किताबें पढ़ाई जा रही हैं और उनपर शोध हो रहे हैं. एक साहित्यकार के लिए इससे बड़ी दूसरी उपलब्धि भला क्या हो सकती है?

24 साल की उम्र में प्रकाशित हुआ निशंक का पहला काव्य संग्रह
रमेश पोखरियाल निशंक बदरीनाथ धाम के करीब स्थित जोशीमठ में सरस्वती विद्या मंदिर में प्रिंसिपल थे जब उन्होंने 1984 में पहला काव्य संग्रह लिखा. महज 24 साल की उम्र में ’समर्पण’ नाम का उनका काव्य संग्रह प्रकाशित हो गया था. साल भर बाद ही उन्होंने ’मुझे विधाता बनना है’ और फिर ’तुम भी मेरे साथ चलो’ लिखा. 1984 से शुरू हुआ उनका सफर आज भी जारी है. उनकी पांच किताबें जल्द ही प्रकाशित होकर लोगों के बीच आने वाली हैं.

ऐसा नहीं है कि सिर्फ काव्य संग्रह ही निशंक ने लिखे हों, उपन्यास और कहानी संग्रह भी उनके खाते में है. इसके अलावा यात्रा संस्मरण और महापुरुषों की जीवनी भी उन्होंने लिखी है. निशंक के अभी तक कुल 14 कविता संग्रह, 12 कहानी संग्रह, 12 उपन्यास, 6 बाल साहित्य, व्यक्तित्व विकास और जीवनी पर 6, पर्यटन, धर्म और संस्कृति पर 6 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।

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