बोर्डिंग स्कूल सामूहिक दुष्कर्म प्रकरण; सामने आया स्कूल स्टाफ का सच, काड़ा पिलाकर कराया गर्भपात

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देहरादून। देहरादून में भाऊवाला स्थित बोर्डिंग स्कूल में सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई नाबालिग छात्रा का गर्भपात कराने के मामले में स्कूल के स्टाफ का कड़वा सच सामने आया है। नाबालिग छात्रा का गर्भपात कराने के लिए स्कूल के स्टाफ ने उसे काढ़ा पिलाया था। इस बात का खुलासा उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अपनी रिपोर्ट में किया है।

आयोग ने यह रिपोर्ट किशोर न्याय बोर्ड को भेज दी है। बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष ऊषा नेगी की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि गर्भपात कराने के लिए पहले छात्रा को एक निजी अस्पताल में ले जाया गया था।

अन्य छात्राओं का बयान भी लिया जाना जरूरी
डॉक्टरों के मना करने पर स्कूल के स्टाफ ने ही छात्रा को काढ़ा पिलाया था, जिससे उसका गर्भपात हो गया था। 14 अगस्त 2018 को हुई घटना को स्कूल प्रबंधन ने जानबूझकर छिपाकर रखा गया। इसमें प्रबंधन के अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे। इसी आधार पर सभी को आरोपी बनाया गया था।

ऊषा नेगी का यह भी कहना है कि छात्र को चुप रहने और स्कूल से निकालने की धमकी भी दी गई थी। आयोग अध्यक्ष का कहना है कि प्रकरण में छात्रा की बहन के साथ अन्य छात्राओं का बयान भी लिया जाना जरूरी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने इसे छेड़छाड़ का मामला बताया और दुष्कर्म की बात अदालत के संज्ञान में नहीं लाई गई।

तीनों बाल अपराधियों को किशोर न्याय बोर्ड ने बरी कर दिया
बता दें किप्रकरण में तीनों बाल अपराधियों को सोमवार को किशोर न्याय बोर्ड ने बरी कर दिया है। इस प्रकरण में पुलिस दुष्कर्म के आरोप को साबित नहीं कर पाई। अभियोजन की ओर से प्रस्तुत नौ गवाहों के बयान भी पूरे घटनाक्रम से मेल नहीं खाए। साक्ष्यों के अभाव और संदेह के आधार पर किशोर न्याय बोर्ड ने तीनों बाल अपराधियों को बाल सुधार गृह हरिद्वार से मुक्त करने के आदेश दिए।

पिछले साल 16 सितंबर को भाऊवाला स्थित बोर्डिंग स्कूल में एक छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के मामले का खुलासा हुआ था। घटनाक्रम 14 अगस्त 2018 का बताया गया था। दुष्कर्म का आरोप स्कूल के ही तीन नाबालिग और एक बालिग छात्र पर था। इस मामले में पुलिस ने 16 सितंबर 2018 की शाम को ही आरोपियों को पकड़ लिया था। इस प्रकरण में प्रिंसिपल समेत प्रबंधन से जुड़े चार लोगों को भी आरोपी बनाया गया था। इनमें से तीन बाल अपराधियों का मुकदमा किशोर न्याय बोर्ड में और बाकी का विशेष पोक्सो कोर्ट में चल रहा है।

रिपोर्ट में सिर्फ छेड़छाड़ की बात
किशोर न्याय बोर्ड में अभियोजन पक्ष ने मुकदमे की विवेचना अधिकारी और बाल कल्याण समिति की अध्यक्षा समेत कुल नौ गवाह पेश किए थे। बचाव पक्ष के अधिवक्ता सौरभ दुसेजा ने बताया कि अभियोजन के किसी भी गवाह के बयान घटनाक्रम से मेल नहीं खा सके। लिहाजा, यशदीप राउते की अध्यक्षता वाले बोर्ड ने सोमवार को तीनों आरोपियों को बरी कर दिया था।

इस मामले में बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष की गोपनीय रिपोर्ट भी अभियोजन के आरोपों को बल नहीं दे सकी। रिपोर्ट में कहीं भी दुष्कर्म का जिक्र नहीं था। इसमें केवल छेड़छाड़ की बात लिखी गई थी। ऐसे में यह बात सिद्ध नहीं हो सकी कि 14 अगस्त को छात्रा से दुष्कर्म हुआ था।

एसओ और पीड़िता की बहन को नहीं बनाया गवाह
किशोर न्याय बोर्ड में चल रहे इस मामले में तत्कालीन एसओ सहसपुर नरेश राठौर को गवाह नहीं बनाया गया था। जबकि, नरेश राठौर ने ही 16 सितंबर को पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया था। यही नहीं न पीड़िता की बहन और न ही उसकी सहेली को गवाह बनाया गया।

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