जगद्गुरू शंकराचार्य, पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि का स्वर्गवास

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देहरादून/ हरिद्वार। भारत मां के परम आराधक, निवृत्त-जगद्गुरू शंकराचार्य, पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज आज सुबह अपना शरीर त्यागकर ब्रह्मलीन हो गए। वह हरिद्वार में भारत माता मंदिर के संस्थापक भी थे। बुधवार को भारतमाता जनहित ट्रस्ट के राघव कुटीर के आंगन में उन्हें शाम चार बजे समाधि दी जाएगी।
सत्यमित्रानंद गिरी के ब्रह्मलीन होने से संत समाज में शोक की लहर दौड़ गई है और देशभर के सभी प्रमुख संतो का राघव को ट्वीट पहुंचना शुरू हो गया है। स्वामी अवधेशानंद गिरी जगतगुरु राज राजेश्वर आश्रम महामंडलेश्वर अभी चेतनानंद महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद स्वामी विवेकानंद भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ ने उनके ब्रह्मलीन होने पर शोक व्यक्त किया है।

स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि का जन्म १९ सितंबर १९३२ में उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ था। उनका मूल नाम अम्बा प्रसाद था। स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज के निधन का समाचार मिलते ही संत समाज सहित हिंदू समाज में शोक की लहर छा गई। सतातन संस्कृति के पुरोधा और विश्व में वैदिक संस्कृति का प्रचार करने में जगद्गुरू शंकराचार्य अग्रणी रहते थे।

वह अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के मुद्दे को लेकर भी काफी मुखर रहे हैं। नवंबर २०१८ में भी उन्होंने कहा था- अगर राम मंदिर अयोध्या में नहीं बनेगा, तो क्या मक्का, वेटिकन सिटी या किसी अन्य तीर्थ में बनेगा? उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के अनेक प्रमाण मिल चुके हैं। तब उन्होंने कहा था कि पुरातत्व विभाग से भी यह साबित हो गया है कि अयोध्या में मंदिर था, क्योंकि वहां आम्रपल्लव कलश व मूर्तियां मिली थीं। उन्होंने कहा कि अगर मुस्लिम पक्ष मंदिर के लिए बड़प्पन दिखाएगा तो मस्जिद बनवाने की जिम्मेदारी मेरी है। इसके लिए जो सामग्री की आवश्यकता होगी वे भारत माता मंदिर की तरफ से उपलब्ध कराएंगे।

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