सुरक्षा का हवाला- लक्ष्मण झूला पुल से नहीं गुजर सकेंगे लोग

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देहरादून। संवाददाता। ऋषिकेश में गंगा नदी के ऊपर पर बना लक्ष्मण झूला आज से जनता के लिए बंद कर दिया गया है। पुल से आने जाने वाले लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। बताया जा रहा है कि लक्ष्मण झूला पुल का टावर झुका हुआ नजर आ रहा है और पुल के ऊपर से आने जाने वाले लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे बंद कर दिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार क्षमता से ज्यादा लोग इस पुल का इस्तेमाल कर रहे थे और ज्यादा यातायात होने तथा पुल के पुराने होने की वजह से लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे बंद करने का फैसला किया गया है। पुल का निर्माण 1930 में किया गया था।

उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस साल जनवरी में एक्सपर्ट्स ने पुल का मुआइना किया था, एक्सपर्ट्स ने बताया कि 1930 में बने लक्ष्मण झूले की उम्र अब पूरी हो चुकी है। पुल को जोड़ने में इस्तेमाल हुए कई उपकरण बहुत पुराने हैं और खराब हो चुके हैं। एक्सपर्ट्स के सुझाव के बाद अब स्थानीय प्रशासन ने लक्ष्मण झूला पुल को बंद करने का फैसला किया है।

पुरातन कथनानुसार भगवान श्रीराम के अनुज लक्ष्मण ने इसी स्थान पर जूट की रस्सियों के सहारे नदी को पार किया था। स्वामी विशुदानंद की प्रेरणा से कलकत्ता के सेठ सूरजमल झुहानूबला ने यह पुल सन् 1889 में लोहे के मजबूत तारों से बनवाया था, इससे पूर्व यह जूट की रस्सियों का ही पुल था एवं रस्सों के इस पुल पर लोगों को छींके में बिठाकर खींचा जाता था। लेकिन लोहे के तारों से बना यह पुल भी 1924 की बाढ़ में बह गया। इसके बाद इस पुल को मजबूत एवं आकर्षक बनाया गया।

इस पुल के पश्चिमी किनारे पर भगवान लक्ष्मण का मंदिर है जबकि इसके दूसरी ओर श्रीराम का मंदिर है। कहा जाता है कि श्रीराम स्वयं इस स्थल पर पधारे थे। पुल को पार कर बाईं ओर पैदल रास्ता बदरीनाथ को तथा दायीं ओर स्वर्गाश्रम को जाता है।

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