भीड़ हिंसा रोकने में नाकाम सरकारों के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई नहीं करेगा सुप्रीम कोर्ट

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दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या (लिंचिंग) की घटनाओं पर लगाम लगाने में कथित रूप से विफल रहे कुछ राज्यों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिए दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि अवमानना की याचिका पर तत्काल सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है। पीठ ने वकील को यह तर्क देने की अनुमति नहीं दी कि शीर्ष अदालत के फैसलों पर कई राज्य सरकारों ने अमल नहीं किया है और ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।

इन फैसलों में न्यायालय ने देश में भीड़ हिंसा एवं गो रक्षा के नाम पर होने वाली घटनाओं से निपटने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश दिए थे। पीठ ने तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि मामलों पर तत्काल सुनवाई के संबंध के बारे में वकीलों के 50 प्रतिश बयान गलत पाए जाते हैं।

पिछले साल 17 जुलाई को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि भीड़तंत्र के भयानक कृत्यों को कानून को अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

अदालत ने साथ में लिंचिंग एवं गो रक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों से निपटने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। पीठ ने यह भी कहा था कि केंद्र को ऐसी घटनाओं से सख्ती से निपटने के लिए नया कानून लाने पर विचार करना चाहिए।

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