इस वर्ष के बहादुरी पुरस्कार के लिए उत्तराखंड के छह बहादुर बच्चों के नाम केंद्र को भेजे; गुलदार से भिड़ने वाले पंकज व उफनती नदी में कूदे ईश्वर का नाम शामिल

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  • अंतिम चयन का अधिकार केंद्रीय बाल आयोग को, तीन बच्चों के नाम एकल आवेदन में भेजे गए हैं
  • चौथे आवेदन में तीन बच्चों का संयुक्त नाम शामिल
  • माँ को बचाने गुलदार से भिड़ा था टिहरी का पंकज 
  • उफनती नदी में डूबती लड़की को बचाने को कूदा था ईश्वर सिंह

देहरादून (संवाददाता) : इस वर्ष के राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए प्रदेश के छह बहादुर बच्चों के नाम केंद्र को भेजे गए हैं। उत्तराखंड राज्य बाल कल्याण परिषद ने पड़ताल के बाद इन बच्चों को राष्ट्रीय पुरस्कार के अनुकूल पाया है। अंतिम चयन केंद्रीय बाल आयोग करेगा। जिन बच्चों को इस पुरस्कार के लिए संस्तुति की गई है, वे विभिन्न घटनाओं में जान जोखिम में डालकर दूसरे की जान बचाने वाले हैं। परिषद को निर्धारित तिथि तक चार आवेदन (जिनमें एक आवेदन तीन बच्चों के रूप में संयुक्त है) प्राप्त हुए। पहला मामला ऊधमसिंहनगर का है।  यहां कनिका ने जान जोखिम में डालकर पड़ोस की बच्ची को बिजली का करेंट लगने से बचाया। दूसरा प्रकरण जनपद टिहरी का है। यहां पंकज ने जान की परवाह किए बिना अपनी मां को गुलदार के हमले से बचाया। तीसरा प्रकरण जनपद चमोली से मास्टर ईर सिंह का है। उन्होंने उफनती नदी में घास सहित बह रही लड़की को नदी में कूद कर सकुशल बचा लिया। चौथा प्रकरण जनपद ऊधमसिंहनगर का संयुक्त है। इनमें युवराज चावला, अभय गुप्ता एवं अक्षय गुप्ता शामिल हैं। इन बच्चों ने साहस दिखाते हुए एक चोर को चोरी करते हुए पकड़कर कानून के हवाले किया। परिषद द्वारा इन प्रकरणों की जांच संबंधित जनपदों के जिला प्रशासन, पुलिस अधीक्षक व मुख्य शिक्षा अधिकारी के सहयोग से कराने के बाद अंतिम चयन के भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली को भेज दिया है। अब तक प्रदेश के 10 वीर बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुशील चन्द्र डोभाल, उपाध्यक्ष डा.आईएस पाल, डा. कुसुम रानी नैथानी, मधु बेरी, महासचिव बीके डोभाल, संयुक्त सचिव कमलेश्वर भट्ट, कुसुम कोठारी, भूपेश जोशी, डा. जेसी मिश्रा, केपी सती, आईबी कोचगवे, परमवीर कठैत तथा विनोद थपलियाल ने इन बच्चों के कार्य को सराहा।
‘‘इन बहादुर बच्चों की वीरता से संबंधित कायरे की गहन जांच की गई है। जांच के बाद ही अंतिम चयन के लिए आवेदन भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली को संस्तुत किए गए हैं। हमें उम्मीद है कि राज्य के बच्चों के बहादुरी के कारनामों को बहादुरी का पुरस्कार मिलेगा।

  • नारगढ़ टिहरी के पंकज सेमवाल ने 10 जुलाई 2016 की रात मां पर हमला कर रहे गुलदार को मार भगाया था। आधी रात को हुए गुलदार के हमले में उसकी मां विमला देवी बुरी तरह घायल हो गई थीं। गुलदार उनको खींच कर सीढ़ियों से नीचे ले जा रहा था। पंकज ने डंडे से लगातार गुलदार पर वार करके उसे भागने को मजबूर कर दिया था। बाद में ग्रामीणों ने विमला को अस्पताल भेजा था।
  • ग्राम छिमटा, गैरसैंण (चमोली) के ईर सिंह ने घास सहित उफनती नदी में गिरी एक 20 साल की लड़की को बचाया था। ठीक पुल के ऊपर लड़की को गाय से धक्का लगा तो वह उफनती नदी में गिर गई थी। पीछे से आ रहे ईश्वर सिंह ने यह देखा तो वह तुरंत नदी में कूद गया। काफी मशक्कत के बाद उसने लड़की को बचाने में सफलता पायी। घायल लड़की को प्राथमिक उपचार करा कर घर पहुंचाया गया।

 

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