जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

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दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने जम्मू कश्मीर से कर्फ्यू हटाने, फोन लाइनों, इंटरनेट, समाचार चैनलों पर रोक और अन्य प्रतिबंधों को हटाने की मांग करने वाली याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि अवैध हिरासत से राजनीतिक नेताओं की तत्काल रिहाई की जाए। उन्होंने इस याचिका पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया था। जिससे अदालत ने इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति एनवी रमाना की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की बेंच ने कहा कि इस मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के सामने रखा जाएगा।

अनुच्छेद 370 के एक खंड को छोड़कर बाकियों को हटाने से पहले ही सरकार ने घाटी में कर्फ्यू लगा दिया था। मंगलवार को पुंछ में पत्थरबाजी की घटना को छोड़कर समूचे राज्य में शांति रही। पुलिस ने दावा किया कि अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजामों के बीच राज्य के तीनों क्षेत्रों में स्थिति पूरी तरह शांतिपूर्ण है। डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया कि राज्य के किसी भी स्थान से अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं मिली है। जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह शांतिपूर्ण है।

घाटी में सुरक्षा के कड़े प्रबंध हैं। महत्वपूर्ण स्थलों के साथ ही संवेदनशील इलाकों में व्यापक पैमाने पर फोर्स की तैनाती की गई है। जम्मू शहर के संवेदनशील क्षेत्रों में एहतियातन सैन्यकर्मियों की तैनाती की गई है। प्रशासन ने राज्य में रैलियों पर भी रोक लगाई हुई है। जरूरतमंद लोगों को समुचित जांच और तलाशी के बाद ही आवाजाही की अनुमति दी जा रही है। श्रीनगर के उपायुक्त शाहिद इकबाल चैधरी ने कहा कि शहर में जिन लोगों को अत्यावश्क काम पड़ रहा है उन्हें सख्त प्रतिबंधों के बावजूद आने-जाने की इजाजत दी जा रही है।

जम्मू संभाग के डोडा व किश्तवाड़ में कर्फ्यू लगाया गया है। अन्य जिलों में धारा 144 है। राजोरी, पुंछ, रामबन, डोडा व किश्वाड़ में मोबाइल सेवा के साथ ही सभी प्रकार की फोन सेवा बंद कर दी गई है। कारगिल में फैसले के विरोध में ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने बंद का आयोजन किया। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया और किसी भी आकस्मिक घटना से निपटने के लिए लगातार निगरानी एवं तैयारी रखने की जरूरत पर जोर दिया है।

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