ग्राम्यभारत में संभावनाओं का उजास ; चुनावी वायदों की ‘कथनी’ और संसद में ‘करनी’ के भेद को मोदी सरकार ने मिटा दिया -जयराम शुक्ल

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सौ दिन में तीन तलाक जैसे रुढ़िवादी जाहिल कानून से मुस्लिम बहनों की मुक्ति और अनुच्छेद 370 व 35ए से मुक्त नए कश्मीर की बुनियाद ये दोनों ही सामाजिक सुरक्षा और राष्ट्रीय अखंडता की दृष्टि से युगांतरकारी कदम हैं और ये आइडिया आफ न्यू इंडिया के इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए हैं। चुनावी वायदों की ‘कथनी’ और संसद में ‘करनी’ के भेद को मोदी सरकार ने पूरी दृढ़ता के साथ मिटा दिया।
किसी भी सरकार के लिए उपलब्धियों के सौ दिन का लेखा-जोखा पेश करना आसान काम नहीं, क्योंकि अमूमन इतने दिन तो योजनाओं को कागज से धरातल पर ही उतारने में लग जाते हैं।  लेकिन अब तो प्रायः हर देशवासी की जुबां से यही निकलता है- ” मोदी है तो मुमकिन है।
सौ दिन में तीन तलाक जैसे रुढ़िवादी जाहिल कानून से मुस्लिम बहनों की मुक्ति और अनुच्छेद 370 व 35ए से मुक्त नए कश्मीर की बुनियाद ये दोनों ही सामाजिक सुरक्षा और राष्ट्रीय अखंडता की दृष्टि से युगांतरकारी कदम हैं और ये आइडिया आफ न्यू इंडिया के इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए हैं। चुनावी वायदों की ‘कथनी’ और संसद में ‘करनी’ के भेद को मोदी सरकार ने पूरी दृढ़ता के साथ मिटा दिया।
पर कई क्षेत्रों में जनकल्याण की ऐसी ठोस शुरुआत हुई जिसका असर ग्राम्य भारत अंतस से महसूस करता है वह है ग्रामीण विकास, कृषि एवं कृषक कल्याण तथा सहकारिता। इस विभाग की बागडोर है मध्यप्रदेश के सर्वप्रिय नेता नरेन्द्र तोमर के हाथों। केंद्र में श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार की यह दूसरी पारी है। कई मंत्रियों की भूमिकाओं में अदला-बदली हुई है। लेकिन दायित्वों को लेकर जो विश्वास श्री तोमर का बना हुआ है यह उनकी विलक्षण प्रतिभा को रेखांकित करता है।
श्री तोमर ने पिछले कार्यकाल में इस्पात और खनन जैसे महत्वपूर्ण विभाग तो सँभाले ही, लेकिन जब ऐसी स्थिति बनी कि मंत्रालयों के अतिरिक्त दायित्व किसे दिए जाएं तो केन्द्रीय नेतृत्व के समक्ष बरहमेश एक ही चेहरा उभरा वह था तोमरजी का। पिछले कार्यकाल में भी वे ग्रामीण विकास, कृषि, सहकारिता विकास सँभाल चुके हैं।
संसद में राष्ट्रपति अभिभाषण या बजट के प्रस्तावों पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रमोदी के भाषणों पर गौर करें तो उनकी चिंता और वरीयता में किसानों का कल्याण, ग्रामीण भारत का उत्थान सर्वोपरि रहा। 2022 तक गरीब मुक्त भारत का संकल्प है..और इस संकल्प के भीतर हर व्यक्ति को आश्रय-आवास देने का। सबसे भगीरथ प्रयास किसानों की किस्मत बदलने की है, खेती को मुनाफे का धंधा बनाने की है।
नए और ग्राम्य भारत की चमकदार तस्वीर गढ़ने की गुरुतर जिम्मेदारी यदि किसी पर है तो वे हैं श्री नरेन्द्र सिंह तोमर। सहज, शालीन और जुनून के हद तक पहुंच कर प्रण पूरा करने का माद्दा ही उन्हें शीर्ष नेतृत्व का प्रियपात्र बना देता है। भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरा होने पर मंत्री के तौर पर श्री तोमर जी के पास कहने के लिए काफी कुछ है। आँकड़ों में अब तक की उबलब्धियां तो हैं ही भविष्य के सक्षम और समर्थ ग्राम्य भारत का स्पष्ट रोडमैप है।
ग्रमीणों के लिए मनरेगा रोजगार की ऐसी वैकल्पिक योजना है जिसने करोड़ों-करोड़ लोगों को निराशा के भँवर में नहीं फँसने दिया। स्वाभिमान के श्रम के अवसर उपलब्ध कराने वाली इस योजना को और भी प्रभावी तरीके से लागू किया गया है। इन सौ दिनों में मनरेगा में नियोजित श्रमिकों की संख्या 11करोड़ 95 लाख से ऊपर है।
श्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जिस योजना को लेकर सर्वाधिक सराहना और गरीब परिवारों की शुभेक्षा अर्जित की है वह है प्रधानमंत्री आवास योजना..। जाति-पाँति धर्म संप्रदाय से ऊपर हर जरूरत मंद परिवार को आवास उपलब्ध कराने की इस महत्वपूर्ण योजना को यथार्थ के धरातल पर मूर्तरूप लेते देश देख रहा है। इन सौ दिनों में एक करोड़ बीस लाख आवास स्वीकृत किए गए।
स्वच्छता अभियान के बाद महात्मा गाँधी के सपनों की दूसरी योजना है ग्राम स्वराज अभियान। सरकार की कोशिश है कि हर गाँव की अपनी स्वतंत्रत अर्थव्यवस्था विकसित हो। खेती और कुटीर उद्योगों को परस्पर जोड़कर ग्रामीण नागरिक को कैसे समर्थ और आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है इस दिशा में सरकार के कदम तेजी से आगे बढ़े हैं। कुटीर उद्योगों के लिए आसान ऋण और कौशल प्रशिक्षण की सुविधा तो है ही खेती को किस तरह मुनाफे का धंधा बनाया जाए नरेन्द्र तोमरजी के कुशल नेतृत्व में ग्रामीण विकास, कृषि कल्याण मंत्रालय तेजी से आगे बढ़ रहा है।
‘जिसका कोई नहीं उसके हम’ के ध्येय वाक्य के साथ आगे बढ़ रही मोदी सरकार ने इस बजट में ऐसे किसानों के लिए महत्त्वपूर्ण योजना घोषित की है जो छोटी काश्त के हैं, अपनी ही जमीन पर मजूर भी वही हैं, यानी कि सीमांत किसानों के लिए 3000रू. प्रतिमाह की मानधन निधि। इस श्रेणी के किसानों को यह निधि 60वर्ष की उम्र पार करने पर मिलनी शुरू होगी। यह कमतर उपलब्धि नहीं कि इन सौ दिनों में 7 लाख 80 से ज्यादा किसान पंजीकृत हो चुके हैं।
सौ दिनों के भीतर ही 6 करोड़ 37 लाख किसानों को सम्मानित निधि के लिए पात्र चिन्हित किया गया है और इन्हें 20529 करोड़ की धनराशि वितरित की गई है। मोदी सरकार का लक्ष्य है का 2022 तक भारत देश गरीबी के अभिशाप से मुक्त होकर वैश्विक क्षितिज में सक्षम भारत-समर्थ भारत बनकर स्थापित हो। इस संकल्प को पूरा करने की दिशा में यदि किसी की सबसे अग्रगण्य भूमिका है तो ग्रामीण विकास, कृषि-कृषक कल्याण और सहकारिता मंत्रालय की। श्री तोमर के नेतृत्व में यह मंत्रालय सौ दिन के भीतर ही अपनी विशिष्ट छाप छोड़ने में सफल रहा है। श्री तोमर की पृष्ठभूमि और सार्वजनिक जीवन में अबतक की यात्रा के दृष्टांत ही उन्हें दूसरों से विशिष्ट बनाते हैं।
भारतीय जनता पार्टी की  नई पीढ़ी के जिन वरिष्ठ नेताओं ने अपने सहज, सरल और सफल व्यक्तित्व व कृतित्व से गहरी छाप छोड़ी है उनमें से श्री नरेन्द्र सिंह तोमर का नाम अग्रगण्य है। सहजता के आवरण में ढंका हुआ उनका कुशाग्र राजनय उनके व्यक्तित्व का चुम्बकीय आकर्षण है। यहीं वजह है कि १९९८ से विधानसभा और फिर संसदीय पारी को आगे बढ़ाते हुए श्री तोमर प्रदेश के सत्ता संगठन से लेकर केन्द्रीय राजनीति तक अपरिहार्य हैं।
यह सब कुछ उन्हें विरासत में नहीं मिला अपितु उन्होंने अपनी लकीर खुद खींची, अपनी लीक स्वयं तैयार की। राजनीति के इस दौर में जहां धैर्य लुप्तप्राय तत्व है वहीं यह तोमरजी की सबसे बड़ी पूँजीे है। श्री तोमर की जड़ें राजनीति की जमीन पर गहराई तक हैं।
वृस्तित जनाधार और लोकप्रियता की छांव उन्हें सहज, सरल, सौम्य और कुशाग्र बनाती है, यहीं उनके धैर्य और शक्ति-सामर्थ्य का आधार भी है। श्री तोमर पूर्णत: सांस्कारिक राजनेता है जिन्होंने अपने दायित्व को कभी बड़ा या छोटा करके नहीं नापा।
विद्यार्थी परिषद की छात्र राजनीति से उनके सार्वजनिक जीवन का शुभारंभ हुआ। उन्होंने अपनी जन्मभूमि मुरैना जिले के ओरेठी गांव की जमीनी हकीकत देखी और यहीं से तप कर निकले।
राजनीति में शून्य से शिखर तक पहुंचने वाले गिनती के ही सहयात्री ऐसे हैं जो गांव-मोहल्ले की राजनीति से चलकर दिल्ली के राजपथ तक पहुंचे। श्री तोमर ने ग्वालियर नगर निगम की पार्षदी से चुनाव यात्रा शुरू की। वे तरूणाई में ही देश की मुख्य राजनीतिक धारा से जुड़ गए थे।
आपातकाल के बाद १९७७ में जब केन्द्र व प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार थी तब वे पार्टी के मण्डल अध्यक्ष बने। अपनी प्रभावी कार्यशैली और वक्तृत्व कला के जरिए व मोर्चे के प्रदेश भर के युवाओं के चहेते बन गए परिणामत: १९९६ में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने। मैंने श्री तोमर के आरंभ काल का जिक्र इसलिए किया ताकि पार्टी की नई पीढ़ी यह जाने और समझे कि यदि लगन, निष्ठा और समर्पण है तो उसके उत्कर्ष को कोई बाधा नहीं रोक सकती, श्री तोमर, उनका व्यक्तित्व व उनकी राजनीतिक यात्रा इसका एक आदर्श व जीवंत प्रमाण है।
उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे सब कुछ करने, परिणाम देने व समर्थ होने के बावजूद भी स्वयं श्रेय लेने पर विश्वास नहीं करते। वे अपनी उपलब्धियों को साझा करते हैं।
श्री तोमर के नेतृत्व व प्रशासनिक क्षमता का लोहा तो विपक्ष की राजनीति करने वाले भी मानते है। मेरी अपनी दृष्टि से श्री तोमर नई पीढ़ी के कार्यकर्ताओं के लिए इसलिए भी अनुगम्य और प्रेरणादायी हैं कि इकाई स्तर से शिखर की राजनीति तक का सफर किस धैर्य व संयम के साथ किया जाता है।
वे एक पार्षद से विधायक, सांसद, मंत्री से केन्द्रीय मंत्री तक पहुंचे वहीं मंडल के अध्यक्ष के दायित्व से प्रदेश के अध्यक्ष, राष्ट्रीय महामंत्री बने। यह भारतीय जनता पार्टी में ही संभव है जहां कार्यकर्ता की क्षमता और निष्ठा का ईमानदारी से मूल्यांकन होता है।

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