सियाचिन स्वच्छता अभियान; सेना ने ग्लेशियर के इको-सिस्टम की सुरक्षा के लिए 130 टन ठोस अपशिष्ट को हटाया

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स्वच्छ अभियान के तहत भारतीय सेना ने दुनिया की सबसे खतरनाक रणभूमि सियाचिन ग्लेशियर के इको-सिस्टम की सुरक्षा के लिए 130 टन ठोस अपशिष्ट को हटाया। सेना के अधिकारियों ने बताया कि सैनिकों ने ग्लेशियर में मौजदू ठोस अपशिष्ट से छुटकारा पाने के लिए दृढ़ संकल्प लिया है। उन्होंने बताया कि अब तक कुल 130.18 टन कचरे का निस्तारण किया जा चुका है। 

  • सैनिकों के लिए चोटी से लौटते समय वहां फैलाया गया कचरा लेकर आना अनिवार्य किया गया 
  • जनवरी 2018 से लेकर अब तक सियाचिन स्वच्छता अभियान के तहत सेना ने पूरा कचरा साफ किया
  • इस कचरे में 40 टन अपशिष्ट पदार्थ सड़ने-गलने योग्य जबकि 41.45 टन धातु अपशिष्ट पदार्थ मौजूद

नई दिल्ली. जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर दुनियाभर में छिड़ी बहस के बीच भारतीय सेना ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन से पिछले 19 महीने में 130 टन कचरा साफ किया है। भारतीय सेना के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि सियाचिन स्वच्छता अभियान के तहत जनवरी 2018 से अब तक यह कचरा साफ किया गया है। दरअसल, सेना के जवानों की तैनाती के कारण सियाचीन की चोटी पर कचरा बढ़ता जा रहा था।

भारतीय सेना ने चोटी पर तैनात सैनिकों के लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेड्यूर (एसओपी) तैयार किया है। इसके तहत सभी जवानों को नीचे लौटते समय अपने साथ वहां रहने के दौरान पैदा हुआ कचरा भी साथ लाना होता है। अधिकारियों के अनुसार नीचे लाए गए कचरे में 48.14 टन अपशिष्ट पदार्थ सड़ने-गलने योग्य नहीं है जबकि 40 टन सड़ जाएगा। सैनिक अपने साथ 41.45 टन धातु अपशिष्ट भी लाए हैं, जिसमें गोलियों के खोखे आदि चीजें शामिल हैं।

कचरे के निस्तारण के लिए लगाई गई मशीनें

अधिकारियों ने बताया कि सेना ने कार्टन और कागज के कचरे के निस्तारण के लिए एक पेपर बेलर मशीन भी लगाया है। इससे दोबारा उपयोग में लाने योग्य वस्तुएं तैयार की जा सकती हैं। गैर धात्वित पदार्थों के निस्तारण के लिए तीन विभिन्न स्थानों पर इनसिनेट्रर मशीनें (कचरे को टुकड़े-टुकड़े करने वाली मशीन) लगाई गई है। सेना धातु के अपशिष्ट पदार्थों के निस्तारण के लिए औद्योगिक क्रशर भी उपलब्ध करवाने की कोशिश कर रही है।

 

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