उत्तराखंडः राज्य गठन के बाद पहली बार, आयुर्वेद इलाज मंहगा करने की तैयारी

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-ग्रामीण क्षेत्रों में एक रुपये और शहरी क्षेत्रों में मात्र दो रुपये है पर्ची शुल्क

-आयुर्वेद चिकित्सा निदेशालय तैयार कर रहा पंजीकरण शुल्क में संशोधन का प्रस्ताव

देहरादून। प्रदेश में पहली बार आयुर्वेद चिकित्सा से इलाज कराने के लिए ओपीडी पंजीकरण शुल्क बढ़ाया जाएगा। इसके लिए आयुर्वेद निदेशालय पंजीकरण शुल्क की दरों में संशोधन करने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। जल्द ही प्रस्ताव को शासन के माध्यम से कैबिनेट में रखा जाएगा। प्रदेश में स्थापित आयुर्वेद चिकित्सालयों और दवाखानों में पंजीकरण शुल्क की दरें राज्य गठन से पहले की लागू है। जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में एक रुपये और शहरी क्षेत्रों में मात्र दो रुपये पर्ची शुल्क मरीजों से लिया जा रहा है।
राज्य गठन के बाद से आयुर्वेद चिकित्सालयों में पंजीकरण शुल्क की दरों में कोई संशोधन नहीं हुआ है। वर्तमान में आयुर्वेद से इलाज कराने के लिए मरीजों से ओपीडी पंजीकरण शुल्क एक से दो रुपये लिया जा रहा है। विभाग का तर्क है कि ऐलोपैथिक में इलाज की दरें बढ़ रही है, लेकिन आयुर्वेद की दरों में आज तक संशोधन नहीं किया गया। पंजीकरण शुल्क नाममात्र होने से मरीजों को ऐसा लगता है कि आयुर्वेद चिकित्सा की कोई अहमियत नहीं है। जबकि असाध्य बीमारियों का इलाज कराने के लिए मरीजों का भरोसा आयुर्वेद चिकित्सा के प्रति बढ़ रहा है।

इसे देखते हुए आयुर्वेद निदेशालय पहली बार पंजीकरण शुल्क की दरों में संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। जल्द ही प्रस्ताव को शासन को भेजा जाएगा। जिसे मंजूरी के लिए कैबिनेट को भेजा जाएगा। विभागीय सूत्रों के अनुसार पंजीकरण शुल्क को कम से कम पांच रुपये किया जा सकता है।

आयुर्वेद चिकित्सालयों व दवाखानों में ओपीडी पंजीकरण शुल्क की दरों में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। शीघ्र ही प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा।
– आनंद स्वरूप, अपर सचिव एवं निदेशक आयुर्वेद विभाग

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