चीन की आर्मी ने ऐसे रौंदा तिब्बत; ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ को दी थी खुली छुट; अनेकों महिलाओं के ब्रेस्ट भी काट दिए गए

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चीन ने तिब्बत को हथियाने के लिए अपनी ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ को खुली छूट दे रखी थी। इसके चलते आर्मी ने तिब्बतियों ने जमकर जुल्म ढाए। महिलाओं और बच्चियों से बलात्कार ही नहीं, कई कई महिलाओं के ब्रेस्ट भी काट दिए गए थे

नई दिल्ली (एजेंसीज) : तिब्बतियों पर चीनी सेना की क्रूरता के किस्से आज पूरी दुनिया के सामने हैं। दरअसल, यह सिलसिला आज से 66 साल पहले ही शुरू हो गया था। चीन हमेशा से ही पूरे तिब्बत को अपना इलाका मानता था। इसी के चलते 21 अक्टूबर, 1950 को चीन ने तिब्बत पर हमला कर दिया था। इस दौरान चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने तिब्बतियों पर दिल दहला देने वाला कहर ढाया था। इस दौरान हजारों लोगों की क्रूर तरीके से हत्या कर दी गई थी और हजारों को कैद कर लिया गया था। कैद किए गए तिब्बतियों के साथ क्या हुआ, अब यह सिर्फ इतिहास है।

महिलाओं के ब्रेस्ट तक काट दिए गए थे

चीन ने तिब्बत को हथियाने के लिए अपनी ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ को खुली छूट दे रखी थी। इसके चलते आर्मी ने तिब्बतियों ने जमकर जुल्म ढाए। महिलाओं और बच्चियों से बलात्कार ही नहीं, कई कई महिलाओं के ब्रेस्ट भी काट दिए गए थे। पुरुषों के साथ बच्चों को भी नहीं बख्शा गया था। कत्लेआम के अलावा तिब्बतियों के 22 धार्मिक गुरुओं को अरेस्ट कर उन्हें यातनाएं दी गईं। इनमें से सभी की मौत यातना झेलते-झेलते ही हुई। यह बात तिब्बतियों के धार्मिक गुरु दलाई लामा ने अपनी किताब ‘मेरा देश निकाला’ में भी लिखी है।
तिब्बत के गोरिल्ला लड़ाकों ने चीनी सेना को दी टक्कर
चीनी सेना के आतंक के चलते हजारों तिब्बती भूटान छोड़कर भारत आ गए थे। हालांकि इसके बावजूद लाखों की संख्या में तिब्बती वहीं जमे रहे और उन्होंने चीनी सेना से लड़ने का निर्णय किया। अमेरिका की मदद से यहां हजारों तिब्बतियों की गोरिल्ला फौज बनाई गई। उन्हें ट्रेनिंग दी गई। ये लड़ाकू जंगलों और पहाड़ों में छिपकर रहते थे और छिप-छिपकर चीनी सेना पर हमले करते थे। इतना ही नहीं, कई बार तो इन लड़ाकों ने चीनी सेना के कई पूरे के पूरे दस्ते ही साफ कर दिए थे। हालांकि, इस युद्ध में करीब 80 हजार तिब्बितयों की भी मौत हुई।
चीन के लिए बहुत बेशकीमती है तिब्बत
चीन ने आर्थिक रूप से महत्वूपर्ण तिब्बत के आधे से अधिक क्षेत्र अपने कब्जे में ले रखे हैं। बताते चलें कि चीनी शासन के अधीन आने से पूर्व तिब्बत लगभग पश्चिमी यूरोप के बराबर था। चीन की विशाल, संसाधन संपन्न तिब्बत पर विजय ने जहां उसके भूभाग में 35 प्रतिशत की वृद्धि की, वहीं उसे भारत के एकदम पड़ोस में ला दिया। इसके अलावा चीन को तिब्बत के खनिज संसाधनों का खजाना भी मिल गया।
 
चीन के लिए दलाई लामा हैं सिरदर्द
शुद्ध पानी के विशाल भंडार के साथ तिब्बत में 10 विभिन्न धातुओं के विशाल भंडार भी हैं, जिनकी दम पर चीन आज दुनिया का सबसे बड़े लिथियम निर्माता देश बन गया है। इसी के चलते चीन पूरे तिब्बत पर अपनी हुकूमत चाहता है, जिससे कि वह यहां की प्राकृतिक संपदा का खुलकर दोहन कर सके। लेकिन, तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा उसके लिए सिरदर्द हैं। अब भी तिब्बत के लोग अपने देश की पूर्ण आजादी की मांग कर रहे हैं, जिसके बदले में चाइनीज पुलिस और सेना द्वारा इन पर जुल्म ढाए जा रहे हैं।

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