अखोड़ी में तीसरे वर्ष भी ढोल-दमाऊ प्रतियोगिता; प्रतियोगिता में पौड़ी के देवेन्द्र और रमेश रहे प्रथम

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अखोड़ी उत्तराखण्ड के गांधी स्व. इन्द्रमणी बडोनी का पैतृक गांव है। यहाँ तीसरे वर्ष भी आदिनाथ ढोल-दमाऊ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें राज्य के 18 ढोल-दमाऊ वादकों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में ढोल-दमाऊं पर शोध कर रहे जर्मनी के लुकास ने ढोल पर धुंयाल बजाकर विभिन्न विधाओं का प्रदर्शन कर उत्तराखण्ड की संस्कृति को लोगों के सम्मुख पेश किया।

पौडीगढ़वाल (संवाददाता) : अखोड़ी उत्तराखण्ड के गांधी स्व. इन्द्रमणी बडोनी का पैतृक गांव है। यहाँ तीसरे वर्ष भी आदिनाथ ढोल-दमाऊ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें राज्य के 18 ढोल-दमाऊ वादकों ने प्रतिभाग किया। राइंका अखोड़ी में आयोजित ढोल-दमाऊं प्रतियोगिता का उद्घाटन जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण ने किया। प्रतियोगिता में 18 जोड़ी ढोल-दमाऊ वादकों ने शिरकत कर विभिन्न कलाओं का प्रदर्शन किया। इसमें निर्णायक मण्डल ने तीन प्रतिभागियों को सर्वश्रेष्ठ वादक के रूप में चुना। इसमें प्रथम स्थान पर पौड़ी के देवेन्द्र कुमार व रमेश चन्द्र, द्वितीय पौड़ी के सहदेव और संतोष व तृतीय स्थान पर टिहरी के ढुंग गांव के सुरेश सिराज व सतीश की जोड़ी रही। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रही जोडी को 15 हजार रपए व ट्रॉफी, द्वितीय को साढे सात हजार रपए व तृतीय स्थान हासिल करने वालों को 31 सौ रपए व ट्रॉफी भेंट की गयी।

 साथ ही ब्लॉक प्रमुख विजय गुनसोला द्वारा अन्य प्रतिभागियों को 11 सौ रपए व प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गये। कार्यक्रम में ढोल-दमाऊं पर शोध कर रहे जर्मनी के लुकास ने ढोल पर धुंयाल बजाकर विभिन्न विधाओं का प्रदर्शन कर उत्तराखण्ड की संस्कृति को लोगों के सम्मुख पेश किया। कार्यक्रम के आयोजक मुडेती गांव के सुरीरा परिवार को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर गढवाल विवि के डीआर पुरोहित, गिरीश बडोनी, डा. संजय पांडे, जिपंस केदार बर्तवाल, प्रीतम सुरीरा, डा. केदार सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख धनीलाल शाह, सरोप सिंह मेहरा, डा. नरेन्द्र डंगवाल, रघुवीर सजवाण, गिरीश बडोनी और विक्रम सिंह आदि उपस्थित थे।

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