वनमंत्री डा. हरक सिह रावत ने कहा- नंधौर अभयारण्य का विकास कार्बेट नेशनल पार्क की तर्ज पर होगा; वानिकी प्रशिक्षण अकादमी में हुआ पारिस्थितिकीय पर्यटन कार्यशाला का आयोजन

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डा. रावत ने कहा कि हमें भूमि से उतना ही दोहन करना चाहिए, जिसे भूमि शीघ्र पुन: उत्पन्न कर सके। उन्होंने कहा प्रदेश का 70 प्रतिशत भूभाग वन व वनभूमि है। वनों की हरियाली और वन्यजीव पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ऐसे में ईको टूरिज्म के साथ ही हमें संस्कृति और परम्पराओं को जोड़ कर पर्यटकों को और आकर्षित करना होगा।

हल्द्वानी (नैनीताल) : वन विभाग द्वारा वानिकी प्रशिक्षण अकादमी में पारिस्थितिकी पर्यटन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ वनमंत्री डा. हरक सिह रावत, विधायक बंशीधर भगत व विधायक नवीन दुम्का ने किया। इस दौरान वनमंत्री ने कहा कि नंधौर अभयारण्य भी कार्बेट पार्क की तरह विकसित होगा।

कार्यशाला में वनमंत्री डा. रावत ने कहा कि हमें भूमि से उतना ही दोहन करना चाहिए, जिसे भूमि शीघ्र पुन: उत्पन्न कर सके। उन्होंने कहा प्रदेश का 70 प्रतिशत भूभाग वन व वनभूमि है। वनों की हरियाली और वन्यजीव पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ऐसे में ईको टूरिज्म के साथ ही हमें संस्कृति और परम्पराओं को जोड़ कर पर्यटकों को और आकर्षित करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें नये पर्यटन स्थल विकसित करने होंगे।

उन्होंने कहा कि हमें समय समय पर संस्कृति महोत्सव, वन महेात्सव, जल महोत्सव और योग महोत्सव पर आयोजन करना होगा इससे जनमानस के साथ ही देवभूमि मे आने वाले पर्यटकों की वर्षभर आमद बनी रहे। उन्होंने कहा कि नंधौर अभयारण को काब्रेट पार्क की तरह विकसित किया जायेगा ताकि नंधौर में भी पर्यटकों की आवाजाही बने रहे इससे क्षेत्र के लोगों का आर्थिक विकास हो और साथ ही स्थानीय रोजगार के अवसर विकसित हो।

विधायक बंशीधर भगत ने कहा कि वन हमारे संस्कृति के वाहक होने के साथ ही हमारे रोजगार के साधन भी है। विधायक नवीन दुम्का ने कहा पर्यटन पर्व के दौरान हमें नंधौर वैली के अभ्यारण को विकसित करने की जरूरत है ताकि यह क्षेत्र भी पर्यटक मानचित्र में अपनी पहचान बना सके। इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप विष्ट, तरुण बंसल, प्रकाश हरबोला, चंदन सिह विष्ट, शान्ति भट्ट, हरिमोहन अरोरा, प्रकाश गजरौला, समीर आर्य, चतुर सिह बोरा, अनूप साह, प्रमुख वन संरक्षक डीबीएस खाती, मुख्य वनसंरक्षक कुमाऊं राजेंद्र सिंह विष्ट, वनसंरक्षक डा. पराग मधुकर धकाते, निदेशक डा. कपिल जोशी, प्रभागीय वनाधिकारी चंद्रशेखर सनवाल आदि मौजूद थे।

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