जौनसार-बावर में स्वास्थ्य सेवाओं का पुरसाहाल; त्यूनी में पुल के नीचे प्रसव की मजबूरी; कहाँ सोए हैं जनप्रतिनिधि?

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जौनसार-बावर जनजाति बहुल क्षेत्र है.अच्छी सडकों, अच्छे अस्पतालों, अच्छी शिक्षा ब्यवस्था का मुहताज यह क्षेत्र लगभग दो दसक से एक ही परिवार की राजनीतिक जागीर बना हुआ है. कहा जाता है कि पिछले चार टर्म से तो इसी परिवार का सत्ता शीर्ष पर कब्ज़ा है, लेकिन इसके बावजूद यहाँ की एक प्रसव पीडिता को पैदल पुल पर बच्चा जनने को बिबस होना पड़ा. इन पंक्तियों में भाई इंद्र सिंह नेगी ने अपनी पीड़ा व्यक्त की है तथा इशारों में उस प्रभावी परिवार सहित उन तमाम सामजिक लोगो पर कटाक्ष किया है, जो इस बिबसता को ढोने के लिए अभिशप्त जनता के लिए कुछ नहीं कर रहे – सम्पादक       

देहरादून (इंद्र सिंह नेगी) : अभी-अभी तथाकथित सोशल मीडिया पर अवतरित हुआ तो बहुत से मित्रों ने त्यूनी में पुल के नीचे प्रसव होने की खबर प्रसारित की उस पर पहली दृष्टि गई ।

जौनसार-बावर में विकास की ढिंढोरा पिटने वाले चतुर्थ पारी खेल रहे हुक्मरान भी जरा संज्ञान ले कि राजनीतिक प्रबंधन आपको चुनाव तो जीता सकता है लेकिन क्षेत्र में सुविधायें क्या है, किस तरह संचालित हो रही है इसकी बानगी भर है ये घटना ।

यह इस क्षेत्र में पहली घटना होती तो शायद आश्चर्य करने जैसा कुछ होता, इससे पहले भी अनेकों घटनाएं हुई और कुछ दिन सुर्खियों में आकर आई-गई हो गई ।यह हम सब सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए शर्म की बात है व कहीं ना कहीं बड़ी नाकामी है, जब हम अपने यहां शिक्षा-स्वास्थ्य व सड़क जैसी बुनियादी सुवाधाओं की व्यवस्था नहीं करा पाये तो अन्य दुनियावी सुविधाएं तो फिलहाल दूर की कौड़ी है । जौनसार-बावर में विकास की ढिंढोरा पिटने वाले चतुर्थ पारी खेल रहे हुक्मरान भी जरा संज्ञान ले कि राजनीतिक प्रबंधन आपको चुनाव तो जीता सकता है लेकिन क्षेत्र में सुविधायें क्या है, किस तरह संचालित हो रही है इसकी बानगी भर हैयहघटना ।

अच्छा स्वास्थ्य, अच्छी शिक्षा, अच्छी सड़के उन सभी का मूल अधिकार है जो तुम्हे व तुम्हारे भाईयों को अपने वोट से लगातार जीता रहे है व जो नहीं भी वोट दे रहे है मात्र तुम्हारी नाकामियों के फलस्वरूप । अन्य की तो छोड़िए यह तो तुम्हारा गृह क्षेत्र है, तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत से 100 बेड के अस्पताल की घोषणा की थी. हालांकि  इससे भी उन ठेकेदारों का ही हित सधता जो दरबारी के रूप में सदैव आस-पास मंडराते है, बजाय इसके त्यूनी, चकराता, साहिया, जैसी जगहों पर 2-4 डाक्टर चढ़ा देते तो उनकी दुआएं भी लगती जिनका पुरसाहाल सिर्फ व सिर्फ चुनाव के दौरान लिया जाता है ।

खैर! ये हम अपनी भी नाकामी मानते है कि हम यहां सुचारू व्यवस्था करवा पाने के लिए कोई जनमत तैयार नहीं कर पाये, इसके कारणों पर भी कभी फुर्सत से चर्चा करेगें । (भाई इंद्र सिंह नेगी की फेस बुक -25 अक्तूबर 2017 समय 8.41- से साभार)

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