पशुओं का चरागाह बना करोड़ों का पॉलीटेक्निक परिसर; इसे कहते हैं सरकारी माल चूल्हे में डाल।

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ऋषिकेश (संवाददाता) : सरकार व उसके कारिंदों की उपेक्षा व लापरवाही से सरकारी संपत्ति की क्या दुर्दशा होती है यह देखना है तो चले आइये श्यामपुर खदरी खड़कमाफी। यहाँ पर करोड़ों रूपये की लागत से बना राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थान सरकार व उसके कारिंदों की उपेक्षा के कारण पशुओं का चरागाह बन कर रह गया है।

स्मरणीय है कि यहाँ वर्ष 2008 में 11 करोड़ की लागत से पॉलीटेक्निक भवन का निर्माण किया गया था। खदरी स्थित पॉलीटेक्निक में पांच आवासीय परिसर और दो छात्रावास सहित एक डिस्पेंसरी का तत्कालीन प्रदेश सरकार में मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने इस का उद्घाटन किया था। वर्ष 2013 में आपदा की बाढ़ से इस संस्थान में हुए नुकसान से न केवल परिसर की चहार दिवारी क्षतिग्रस्त हुई बल्कि कक्षाओं सहित परिसर में रेत बालू के ढेर लग गए थे। जिसके कारण पॉलीटेक्निक में अन्य विषयों को शुरू नही किया गया।

वर्तमान में करोड़ों से बने इस संस्थान में मात्र एक इलेक्ट्रिकल विषय में ही डिप्लोमा की सुविधा है। केदार नाथ आपदा के चार वर्ष बीत जाने के बाद अभी तक चहार दिवारी का पुनर्निर्माण नहीं हो पाया है। जिसके कारण आवासीय परिसर पशुओं का चरागाह बन गया है। यहां यह बात भी ध्यान देने की है कि शैक्षणिक परिसर में वर्ष 2015 में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा पौधरोपण किया गया था। समय समय पर विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा भी यहां पौधरोपण किया गया।  

सामाजिक कार्यकर्ता विनोद जुगलान का कहना है कि धनाभाव के कारण शैक्षणिक परिसर में लगे पौधों को ही संरक्षित किया जा सका है। जबकि आवासीय परिसर में करायी गयी सरकारी तारबाड़ हाथी ने क्षतिग्रस्त कर दी थी। जिसके पुनर्निर्माण सहित बाढ़ सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री सहित प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पत्र प्रेषित किया जा चुका है।

यदि संस्थान की चहार दिवारी सहित तटबंध बनाकर बाढ़ नियंत्रण के उपाय किये जाते हैं तो संस्थान को संरक्षित किया जा सकेगा और अधिक विषयों की पढ़ाई का लाभ भी युवा पीढ़ी को मिल सकेगा। संस्था के प्राचार्य सुनील कुमार कई बार शासन को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन सुरक्षा दीवार का पुनर्निर्माण नहीं हो पाया। 

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