उत्तराखंड में अब तक 2500 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं, सरकारी स्कूलों में शिक्षा का गिरता स्तर और इस वजह से कम होती छात्रों की संख्या चिंताजनक है-मुख्यमंत्री ।

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मुख्यमंत्री शिक्षकों खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि क्या शिक्षक संघ सिर्फ अपनी मांगें उठाने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं? मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुछ शिक्षक नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि मास्टरजी को पता नहीं कि कब से क्लास में जाने का मौका नहीं मिला।

देहरादून (संवाददाता) : पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड के ढाई हजार से अधिक सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षा का गिरता स्तर और इस वजह से कम होती छात्रों की संख्या चिंताजनक है। शिक्षक संघों को इस पर भी सोचना चाहिए। बुधवार को पथरीबाग स्थित लक्ष्मण विद्यालय में आयोजित राजकीय शिक्षक संघ के द्वी वार्षिक अधिवेशन के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह बातें कहीं। उन्होंने शिक्षकों खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि क्या शिक्षक संघ सिर्फ अपनी मांगें उठाने के लिए हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं? मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुछ शिक्षक नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि मास्टरजी को पता नहीं कि कब से क्लास में जाने का मौका नहीं मिला। मुख्यमंत्री ने संघ की पत्रिका ‘शिक्षक दर्पण’ का भी विमोचन किया।

शिक्षक संघ के अधिवेशन के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा में सुधार के लिए एक थिंक टैंक का गठन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसमें 20 योग्य शिक्षकों को शामिल किया जाए, जो उत्तराखंड में शिक्षा गुणवत्ता में सुधार, सरकारी स्कूलों की मजबूती, स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने पर सुझाव दे सकें।

इस दौरान माध्यमिक शिक्षा निदेशक आरके कुंवर, एसजीआरआर विवि के कुलपति डॉ. पीताम्बर प्रसाद ध्यानी, राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान, संरक्षक अर¨वद चौधरी, प्रांतीय महामंत्री सोहन माजिला के साथ सुंदर कुंवर, रामकुमार चौधरी, विमल चौहान, कमल किशोर डिमरी, भाजपा प्रदेश सचिव सुनिल उनियाल गामा, पार्षद अशोक भट्ट और राज्यभर के शिक्षक शामिल हुए।

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