देश के पिछड़ों जिलों में हरिद्वार का 253वां स्थान

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देहरादून। संवाददाता। देश के सबसे कुपोषित 504 जनपदों में उत्तराखंड के हरिद्वार को 253वां कुपोषित जिला घोषित किया गया है। जनपद में पांच वर्ष तक की आयु के 39.1 फीसद बच्चे कुपोषण का शिकार पाए गए हैं। बच्चों में पोषण के स्तर की यह चैंकाने वाली तस्वीर नीति आयोग की सर्वे रिपोर्ट में सामने आई है। बच्चों के वजन के आधार पर उनके पोषण का स्तर निकाला गया और इसकी तुलनाविभिन्न आयु के अनुसार आदर्श वजन से की गई।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक देश को कुपोषणमुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए नीति आयोग ने देशभर में पांच वर्ष तक की आयु के बच्चों में पोषण का स्तर जानने के लिए सर्वे कराया, जिसमें सर्वाधिक कुपोषित और अतिकुपोषित जनपदों को चिह्नित किया गया है।सर्वे रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष 100 जनपद अतिकुपोषित व 404 जनपद कुपोषित घोषित किए गए हैं। सर्वाधिक कुपोषित बच्चों के मामले में उत्तर प्रदेश के तीन जिले शामिल हैं। इनमें 65.1 फीसद के साथ बहराइच पहले, 63.5 फीसद कुपोषित बच्चों के साथ श्रावस्ती दूसरे व 62.8 फीसद के साथ बलरामपुर तीसरे पायदान पर है। जबकि झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम जिला 59.4 फीसद के साथ कुपोषित बच्चों के मामले में चैथे स्थान पर है।

उत्तराखंड के हरिद्वार जिले की बात करें तो 39.1 फीसद कुपोषित बच्चों के साथ यहां का स्थान 253वां है। यहां कुल एक लाख 83 हजार 440 बच्चों में करीब 32 फीसद कुपोषित, तो सात फीसद बच्चे अतिकुपोषित पाए गए।

उपनिदेशक (महिला एवं बाल विकास) सुजाता सिंह का कहना है कि भारत सरकार ने 504 सर्वाधिक कुपोषित जनपदों में हरिद्वार को भी शामिल किया है। हरिद्वार में 39.1 फीसद बच्चे कुपोषित एवं अति कुपोषित मिले हैं। जो कि बेहद गंभीर स्थिति है। हरिद्वार को कुपोषणमुक्त करने की दिशा में विभाग गंभीरता से कार्य करेगा

 

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