मासूम बच्चों का मांस खाने वाले नरपिचासों को फांसी की सजा

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नोएडा। ब्योरो। नोएडा के चर्चित निठारी कांड के एक और मामले में गुरुवार को फैसला सुनाया गया। सीबीआई की विशेष अदालत में निठारी कांड के नौंवे मामले में मोनिंदर सिंह और सुरेंद्र कोली को दोषी करार दिया। बहस के बाद दोनों को दोपहर 1 बजे फांसी की सजा सुनाई गई।

इससे पहले सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी की अदालत में बुधवार को डासना जेल में सजा काट रहा सुरेंद्र कोली पेश हुआ। अंतिम बहस में उसने पांच मिनट तक सीबीआई जांच पर अंगुली उठाई। इसके साथ ही अदालत में कोली की बहस पूरी हो गई।

सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक जेपी शर्मा ने कोली के पक्ष का विरोध किया। शर्मा ने बताया कि बुधवार को अंतिम बहस करने का समय पूर्ण हो गया। अदालत ने सात दिसंबर को निठारी कांड के नौवे मामले में फैसले के लिए दिन सुरक्षित रखा है। पंधेर-कोली पर निठारी कांड में कुल 16 मुकदमे चल रहे हैं। आठ मामलों में विशेष अदालत से फैसला सुनाया जा चुका है।

क्या है निठारी कांड
12 साल पहले 20 जून, 2005 को आठ साल की एक बच्ची नोएडा के निठारी इलाके से अचानक गायब हो गई थी। इसके बाद से इस इलाके में लगातार बच्चे गायब होने लगे। एक साल तक लगातार बच्चों के गायब होने यह सिलसिला चलता रहा और करीब दर्जनभर बच्चे गायब हो गए। मामला राष्ट्रीय स्तर पर आने के बाद पुलिस की अलग-अलग टीमों ने एनसीआर समेत देश के कई इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया।

7 मई 2006 को 21 साल की एक और लड़की जब गायब हुई तो पुलिस को अहम सुराग उसके मोबाइल से मिला। पुलिस ने उस नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई। उसके बाद जब उसमे से एक नंबर पर कॉल की गई तो उसका नाम मनिंदर सिंह पंधेर का था। जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में पंधेर और उसके नौकर कोली को आरोपी बनाया। इसके बाद पूरे निठारी मामले का खुलासा हुआ था, जिसमें 15 से ज्यादा बच्चियों और लड़कियों का रेप किया गया था। रेप के बाद उन्हें मारकर पंढेर के घर में दफन कर दिया गया था।

सुरेंद्र कोली को पहले भी सुनाई जा चुकी है फांसी की सजा

निठारी कांड के 6 मामलों में कोर्ट सुरेंद्र कोली को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुना चुकी है। पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने कोली को एक लड़की के मर्डर केस में किडनैपिंग, रेप और सबूत मिटाने का दोषी पाया था। इससे पहले के भी पांच मामले में सीबीआई कोर्ट ने कोली को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि 2015 में इलाहबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में उसकी फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया था।

 

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