उत्तराखण्ड में बढ़ रही स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या

0
260

देहरादून। संवाददाता। प्रदेश में विद्यार्थी दसवीं अथवा 12 वीं तक पहुंचते-पहुंचते पढ़ाई से नाता तोड़ रहे हैं। स्थिति यह है कि वर्ष 2016-17 के दौरान माध्यमिक शिक्षा में 15 हजार से अधिक और प्राथमिक शिक्षा में दो हजार से अधिक विद्यार्थी स्कूल छोड़ रहे हैं।

देश व प्रदेश में बच्चों को शिक्षित करने पर जोर दिया जा रहा है। बावजूद इसके दसवीं और 12 वीं तक पहुंचते-पहुंचते बच्चे लगातार शिक्षा से मुंह मोड़ने लगे हैं। इसके कई कारण बताए जाते हैं। इनमें एक प्रमुख कारण यह बताया जाता है सरकारी स्कूलों में अधिकांश श्रमिकों के बच्चे पढ़ते हैं।

जैसे ही ये काम से शहर बदलते हैं तो साथ ही बच्चे भी स्कूल छोड़ देते हैं। इसके अलावा थोड़ा बड़े होने पर ये काम में अपने मां-बाप का साथ देने लगते हैं और पढ़ाई पीछे छोड़ देते हैं। इनमें बालक व बालिकाओं की संख्या तकरीबन एक समान है। इसके अलावा बड़ी कक्षाओं में पढ़ाई का खर्चा बढ़ने के कारण गरीब अपने बच्चों को स्कूलों से निकाल देते हैं।

विधानसभा सत्र में सरकार द्वारा पेश आंकड़ों पर नजर डालें तो ड्रापआउट बच्चों की सबसे अधिक संख्या देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर आदि जिलों में हैं। पहाड़ों में तेजी से हो रहे पलायन के चलते भी ड्रापआउट बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

हालांकि, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का कहना है कि सरकार ने गरीब व पिछड़ी जाति के लोगों को वापस स्कूल तक लाने के लिए कई प्रयास किए हैं। इनमें बच्चों के लिए मुफ्त पाठ्यपुस्तकों के अलावा विकलांग बच्चों के लिए गृह आधारित शिक्षा का प्रावधान किया जा रहा है। अभी तक सरकार माध्यमिक स्तर पर 457 बच्चों को वापस प्रवेश दिला चुकी है और प्राथमिक स्तर पर 412 बच्चों को वापस प्रवेश दिलाया गया है।

LEAVE A REPLY