केंद्र की उत्तराखंड को 153 करोड़ की सौगात; इससे होगा सड़क निर्माण व सुधारीकरण

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देहरादून (संवाददाता) : मुख्यमंत्री के साथ गये अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश व अपर सचिव न्याय महेश चन्द्र कौशिवा ने गडगरी से मुलाकात के दौरान भूमि अधिग्रहण में किसानों को मुआवजे पर मिलने वाले ब्याज के मामले में र्चचा की जिस पर गडगरी ने कहा कि नेशनल हाईवे अथारिटी एक्ट मे ब्याज देने का प्रावधान नहीं है। जिस पर श्री कौशिवा ने गडगरी को अवगत कराया कि नये एक्ट में भूमि अधिग्रहण के मुआवजे मे देरी होने पर ब्याज देने का प्रावधान है। अब तक भूमि अधिग्रहण के मामले में मुआवजे में हुयी देरी के कारण करीब 100 करोड रुपये के ब्याज की धनराशि बनती है जिस पर गडकरी ने आश्वासन दिया कि इस मामले में अपने एटार्नी जरनल से वार्ता कर निर्णय लेंगे।

केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री के प्रपोजल पर सहमति जताते हुए सेन्ट्रल रोड फण्ड के तहत राज्य की सड़कों के निर्माण एवं सुधारीकरण के लिए इस वर्ष 153 करोड़ Rs की धनराशि अलग से देने पर सहमति जताई है तथा इस मद में विशेष सहायता के रूप में राज्य को 600 करोड़ Rs तक की धनराशि स्वीकृत किये जाने का आश्वासन दिया है। इसके लिए राज्य सरकार को बजटीय प्राविधान के साथ प्रस्ताव केन्द्र सरकार को प्रेषित करना होगा। इसके अतिरिक्त सीएसआर के तहत भी उत्तराखण्ड को 600 करोड़ Rs की धनराशि दिये जाने पर भी केन्द्रीय मंत्री ने सहमति जताई है। इससे हरिद्वार में गंगा घाटों के पुनर्निर्माण तथा सुधारीकरण आदि कार्य किये जाएंगे। सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय सड़क परिवहन, जल संसाधन, नदी विकास मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर प्रदेश की चारधाम ऑल वेदर रोड की प्रगति का खाका प्रस्तुत किया।

इसके साथ रामनगर कर्णप्रयाग राज्य राजमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग में परिवर्तित करने के साथ ही राज्य के कुछ अन्य राजमागरे को राष्ट्रीय राजमार्ग में बदलने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने गडकरी को बताया कि ऑलवेदर रोड के निर्माण कार्य प्रगति पर है। उन्होंने राज्य की सी-प्लेन योजना संचालित करने पर भी र्चचा की। उन्होंने कहा कि राज्य में केन्द्र के सहयोग से टिहरी, नैनीताल की झीलों तथा प्रमुख नदियों में सी-प्लेन योजना की शुरुआत की जा सकती है। राज्य में संचालित नमामि गंगे योजना के साथ लखवाड़-ब्यासी सहित अन्य जल विद्युत परियोजनाओं पर भी र्चचा हुई है।मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी से लखवाड़ बहुउदेशीय परियोजना को शीघ्र सहमति प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि अलकनन्दा तथा भागीरथी नदियों पर 70 में से 33 जल विद्युत परियोजनाएं, जिनकी कुल क्षमता 4060 मेगावाट तथा लागत 41 हजार करोड़ Rs है, एनजीआरबीए, ईको-सेंसटिव जोन तथा उच्चतम न्यायालय के निर्देशो के क्रम में बन्द पड़ी है।

मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि यदि संयुक्त शपथ पत्र ऊर्जा मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय तथा पर्यावरण व जल मंत्रालय द्वारा उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाय तो उक्त परियोजनाओं को शीघ्र अनुमोदन मिल सकता है। इसी प्रकार चमोली की 300 मेगावाट की बावला नन्दप्रयाग जल विद्युत परियोजना के सम्बन्ध में उन्होंने केन्द्रीय मंत्री को बताया कि इस परियोजना से संबंधित डीपीआर केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के समक्ष अनुमोदन के लिए लम्बित है, क्योंकि जल संसाधन मंत्रालय द्वारा इन्वायरमेन्टल फ्लो का अभी अध्ययन नहीं किया गया है। उन्होंने इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही की अपेक्षा की।गडकरी ने मुख्यमंत्री को राज्य की लम्बित परियोजनाओं के क्रियान्वयन में सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की योजना है कि उत्तराखण्ड समेत हिमालय क्षेत्र में जो बड़ी झीलें हैं, वहां सी-प्लेन की लैंडिंग की जाए।

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