31 दिसंबर तक चिकित्सकों को देनी होगी तैनाती, हो सकती है कार्रवाही

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देहरादून। संवाददाता। उत्तराखंड के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से रियायती दर पर पढ़ाई कर बांड का उल्लंघन करने वाले डॉक्टरों पर विभाग ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। इन चिकित्सकों को 31 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया गया है। यदि वह इस अवधि में ज्वाइन नहीं करते तो उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

राज्य सरकार ने पहाड़ी क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए एमबीबीएस, एमडी समेत अन्य मेडिकल संबंधी पढ़ाई को रियायती फीस के साथ कराने का प्रावधान रखा है। इस फार्मूले के तहत जो छात्र बांड भरकर अपनी पढ़ाई करता है उसे कम फीस चुकानी पड़ती है। बांड के तहत ऐसे डॉक्टरों को अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद नियत समय के लिए उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देनी होती हैं।

यह अलग बात है कि राज्य के हल्द्वानी और श्रीनगर मेडिकल कॉलेजों से पिछले सालों में कई छात्रों ने बांड भरकर रियायती दरों पर पढ़ाई तो की, लेकिन बाद में जब उनकी नियुक्ति की गई तो उन्होंने कार्यभार ही नहीं संभाला।

सरकारी मेडिकल कॉलेजों से अभी तक कुल 783 एमबीबीएस डॉक्टर पास आउट हो चुके हैं। इसमें 244 ही अस्पतालों में तैनात हैं। जबकि 213 अनुपस्थित हैं। 218 ऐसे हैं, जिनके बारे में जानकारी ही नहीं है। ऐसे में मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को कम फीस पर पढ़ाने का कोई लाभ राज्य को नहीं मिल रहा। इस दौरान बांड का उल्लंघन करने पर भी डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। नियम स्पष्ट नहीं होने से अबतक सरकर भी कार्रवाई से बचती थी।

लेकिन भाजपा सरकार इन्हें किसी तरह की रियायत देने के मूड में नहीं दिख रही है। चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि इन चिकित्सकों को 31 दिसंबर तक का समय दिया गया है। इस दौरान वह स्वास्थ्य विभाग द्वारा आवंटित तैनाती स्थल पर या चिकित्सा शिक्षा निदेशालय में रिपोर्ट करें। अथवा उनके खिलाफ अब वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।

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