दलित प्रधानमंत्री के राज में उत्तराखण्ड के लापता दलित का टीएसआर नहीं ले रहे संज्ञान

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देहरादून। आशीष बडोला। एक ओर देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को दलित बताकर दलितों का वोट साधने पर लगे हैं। साथ ही दलित समुदाय के उत्थान की बात की जा रही है। वहीं उत्तराखण्ड में भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार दलित परिवार के लापता युवक राकेश का संज्ञान लेने के मूड में नहीं दिख रहे हैं।

पुलिस प्रशासन मामलें में चुप्पी साधे बैठा है। जबकी युवक के लापता होने की शिकायत घनसाली थाने में दर्ज कराये 15 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है। समुदाय के लोग भीम आर्मी भारत एकता मिशन के बैनर तले पिछले सात दिनों से दून स्थित परेड ग्राउंड में धरनारत हैं।

समुदाय के लोगों के समर्थन में आये उत्तराखण्ड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच के प्रदेश संयोजक दौलत कुंवर ने उत्तराखण्ड रिपोर्ट के संवाददाता से खास बातचीत में बताया कि टिहरी जिलें के घनसाली ब्लाॅक स्थित गंगी गांव का दलित युवक राकेश 1 दिंसबर 2017 को शादी समारोह में विवाद के बाद से लापता हो गया था।

जिसकी गुमशुदगी घनसाली थाने में दर्ज कराई गई है। पुलिस प्रशासन ने इस मामलें में कोई जिम्मेंदारी नहीं दिखाई है। उनका कहना है कि धरनारत समुदाय के लोग अब आर्थिक तौर से भी टूट चुके हैं। मगर कहीं से भी कोई मदद मिलती नहीं दिख रही है। सरकार का कोई भी नुमाइंदा संज्ञान लेने नहीं आया है।

दलित वोट साधने वाली केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार हमारी बात को गंभीरता से नहीं ले रही है। ऐसे में सरकार से किसी अन्य मामलें में कैसे उम्मीद जताई जा सकती है। धरना देने वालों में अर्जुन कुमार, संजय कुमार, रोहित कुमार, अंकित, सुजित, गोविंद वर्मन, पुजसिंह, जोनू, पंकज, शिवम, दिपक, रोबिन, गौतम, रोहित, राज, जोगीन्द्र, प्रमोद, सन्नी, प्रमोद, मिंटू, कंवर पाल, राजन, दिपक, विशु, प्रमोद महाजन, अवधेश सहित भीम आर्मी के प्रदेश प्रभारी महकसिंह आदि मौजूद रहे।

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