पीएमओ के निर्देश पर हुई जांच में हुआ खुलासा; बाढ़ सुरक्षा के 25 लाख डकार गए प्रधानजी!

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रायवाला (देहरादून) : राजधानी देहरादून से लगे ग्रामसभा गौहरीमाफी में बाढ़ सुरक्षा के नाम पर बनी योजना के लाखों रुपये कथित रूप से ग्राम प्रधान और जिम्मेदार अधिकारी डकार गए। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की दखलअंदाजी के बाद मामले की जांच हुई तो उजागर हुआ कि मनरेगा के तहत ग्रामसभा गौहरीमाफी में बाढ़ सुरक्षा के लिए सुसवा नदी किनारे तार जाल लगाने की योजना तो बनी लेकिन धरातल पर काम नहीं हुआ और 24 लाख 87 हजार रुपये ठिकाने लगा दिए गए। भगवान संधू व ग्राम प्रधान सरिता रतूड़ी ने प्रेस वार्ता कर जांच से दस्तावेज मीडिया को उपलब्ध कराए।

इस दौरान उन्होंने कहा कि दोषी पाया गया पूर्व ग्राम प्रधान प्रदेश कांग्रेस संगठन में महासचिव पद पर है। पूर्व में भी शिकायतें हुई लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जांच नहीं होने दी और दोषी को बचाया गया। उन्होंने कहा कि अब आरोप सही साबित हो गए हैं लिहाजा तत्काल एफआईआर दर्ज की जानी जरूरी है। उनका आरोप था कि पूर्व ग्राम प्रधान ग्रामीणों का ध्यान भटकाने के लिए कई तरह के प्रपंच कर गांव के विकास कार्य में रोड़े अटका रहा है। 

अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों में कागजों पर पुल, सड़क आदि का निर्माण कर करोड़ों रुपए डकारने के किस्से किसी से छिपे नहीं है। अलग राज्य बनने के बाद भी उत्तराखंड में यह प्रथा जारी होना किसी अचरज से कम नहीं है। वह भी सरकार की नाक के नीचे। 

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की दखलअंदाजी के बाद मामले की जांच हुई जिसमें मनरेगा के तहत ग्रामसभा गौहरीमाफी में बाढ़ सुरक्षा के लिए सुसवा नदी किनारे तार जाल लगाने की योजना तो बनी लेकिन धरातल पर काम नहीं हुआ और 24 लाख 87 हजार रुपये ठिकाने लगा दिए गए।

अब जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधान व योजना से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। जानकारी के अनुसार 2011 में ग्राम सभा गौहरीमाफी में बाढ़ सुरक्षा के लिए मनरेगा से 24 लाख 87 हजार की योजना बनाई गई। इसके तहत सुसवा नदी किनारे तार जाल डाले जाने थे। तत्कालीन ग्राम प्रधान ने अधिकारियों की मिलीभगत से योजना को कागजों में पूरा दिखाकर योजना के लिए स्वीकृत 24 लाख 87 हजार रुपये आहरित कर लिए।

इस संबंध में जब समाजसेवी भगवंत संधू ने तत्कालीन प्रदेश सरकार व प्रशासन के इसकी शिकायत की तो किसी ने इसका संज्ञान नहीं लिया। आखिरकार संधू ने मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय से की, जिस पर प्रधानंमत्री कार्यालय की ओर से प्रदेश शासन को मामले की जांच के निर्देश दिए। राज्य सरकार की ओर से मामले की जांच के लिए तीन सदस्य जांच कमेटी गठित की। इसमें सहायक परियोजना निदेशक, ग्रामीण अभियंतण्रअधिकारी व खंड विकास अधिकारी (मनरेगा) को शामिल किया गया।

जांच टीम ने मौके पर निरीक्षण कर शिकायत को सही पाया और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की संस्तुति की है। जिलाधिकारी देहरादून एएस मुरुगेशन ने तत्कालीन ग्राम प्रधान संजय पोखरियाल के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि योजना से जुड़े तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी, उप कार्यक्रम अधिकारियों पर भी कड़ी कार्यवाही होगी। दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही भी की जाएगी।

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