अल्मोड़ा : जिले के दूर गांवों में अतिवृष्टिïने चुनौतियां बढ़ा दी हैं। भूस्खलन व मलबे की चपेट में आकर पेयजल योजनाएं ध्वस्त होने से पाइन लाइनें बेपानी हो चली हैं। किल्लत के बीच प्राकृतिक जलस्रोत इस संकट में सहारा बन रहे हैं। इधर, विभागीय अधिकारिया के अनुसार क्षतिग्रस्त योजनाओं की मरम्मत के लिए आपदा मद से बजट मांगा जा रहा है। उधर लमगड़ा ब्लॉक के जैंती क्षेत्र में भी पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त तो कुछ मलबे में दबी पड़ी हैं।
प्री मानसून की भारी वर्षा ने द्वाराहाट विकासखंड के सुदूर क्षेत्रों की दुश्वारियां बढ़ा दी हैं। मेल्टा व सती नौगांव का हलक तर करने वाली पेयजल योजनाएं जगह जगह ध्वस्त हो गई हैं। दोनों गांवों में करीब ढाई हजार की आबादी प्रभावित हो गई है। महिलाएं भरी दोपहरी दूर स्रोतों से सिर पर पानी ढो रही हैं। योजनाओं की हालत देख साफ लग रहा कि परेशानी जल्द दूर होने वाली नहीं। सोमवार को विभागीय कर्मचारियों ने स्थलीय निरीक्षण कर क्षतिग्रस्त योजना का जायजा लिया।
धनखलगांव पेयजल योजना टूटने से लगभग 150 परिवारों को पानी मिला बंद हो गया है। यहां तकनीकी टीम मरम्मत कार्य में जुटी है। उधर मल्यालगांव की योजना के ध्वस्त होने से करीब एक हजार ग्रामीण समीपवर्ती मल्याल नदी व अन्य स्रोतों से प्यास बुझा रहे हैं। हालाकि मुझोली, दैना व नैणी गांवों की योजनाएं ठीक कर लिए जाने से बड़ी राहत मिली है।
जैंती में सात योजनाएं बेपानी
तहसील क्षेत्र के सुदूर क्षेत्रों में जलापूर्ति ठप है। कालाडुंगरा, बसगांव, मझाऊं, बाराकोट, पुभाऊं, थामथोली व लोहना समूह पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त पड़ी हैं। इससे करीब 12 गांवों में पांच हजार की आबादी को नल से पानी मिलना बंद हो गया है। फिलहाल, लोग प्राकृतिक स्रोतों से प्यास बुझा रहे हैं।
कनिष्ठ अभियंता जल संस्थान एसएस रौतेला ने बताया कि अतिवृष्टि से मलबे में दबने से द्वाराहाट क्षेत्र में पेयजल योजनाओं को काफी क्षति पहुंची है। तकनीकी कर्मचारी मरम्मत कार्य में लगाए गए हैं। कुछ योजनाएं ठीक हो गई हैं। दोसाद गधेरे से मेल्टा व सतीनौगांव के लिए बनी योजना बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई है। उसे दैवीय आपदा मद में शामिल कर मरम्मत कराई जाएगी।