अल्मोड़ाः किसान ने उगाया विश्व का सबसे ऊंचा धनिया का पौधा, गिनीज बुक में नाम दर्ज

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Uttarakhand farmer planted 7 feet height green coriander plant, name register in guinness book

अल्मोड़ा। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में ताड़ीखेत विकासखंड के प्रगतिशील किसान गोपाल दत्त उप्रेती ने विश्व में सबसे ऊंचा 2.16 मीटर (7 फुट एक इंच) धनिया का पौधा उगाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है। उन्होंने दावा किया कि इससे पहले 1.80 मीटर (छह फुट) ऊंचा धनिया का पौधा उगाने का रिकॉर्ड जर्मनी के नाम है।

बिल्लेख में गोपाल दत्त उप्रेती का जीएस आर्गेनिक एप्पल फार्म है। वह 10 नाली (0.2 हेक्टेरयर) क्षेत्र में धनिया और लहसुन की खेती कर रहे हैं, जबकि 70 नाली (1.5 हेक्टेयर) में सेब का बगीचा और सब्जी उगा रहे हैं।
गत 21 अप्रैल को मुख्य उद्यान अधिकारी त्रिलोकी नाथ पांडे और विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान के वैज्ञानिक डॉ. गणेश चैधरी ने उनके फार्म का निरीक्षण किया। उन्होंने देखा कि खेत में धनिये के पौधे औसत से काफी बड़े हैं।

उस समय सबसे ऊंचा पौधा पांच फुट सात इंच का था। औसतन उनके खेत में पौधे पांच फीट से ऊंचे ही थे। 27 मई को मुख्य उद्यान अधिकारी पांडे, जैविक उत्पाद परिषद मजखाली के इंचार्ज डॉ. देवेंद्र सिंह नेगी, उद्यान सचल दल केंद्र बिल्लेख प्रभारी राम सिंह नेगी ने फिर उनके खेत में धनिया के पौधों की लंबाई नापी।

गिनीज बुक में नाम दर्ज होना किसानों का सम्मान
जिसमें सबसे बड़ा धनिये का पौधा सात फुट एक इंच का था। इसके अलावा उनके खेत में पांच से सात फीट ऊंचाई के धनिये के अन्य पौधे भी मिले। पेशे से सिविल इंजीनियर गोपाल दत्त उप्रेती ने इस उपलब्धि के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए आवेदन किया और पौधे की ऊंचाई समेत सभी कागजात प्रस्तुत किए। उप्रेती ने बताया कि पौधों की अधिक लंबाई की वजह से धनिये के पौधे में गंध और अन्य चीजों में कोई फर्क नहीं पड़ा है।

गोपाल दत्त उप्रेती का कहना है कि उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज होना देश के सभी किसानों का सम्मान है। खासतौर पर जैविक कृषि के क्षेत्र में यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। वह कहते हैं कि उत्तराखंड में जैविक कृषि की अपार संभावनाएं हैं।

बताया कि जैविक कृषि के लिए पत्नी वीना उप्रेती ने उन्हें प्रेरित किया है। उन्होंने अपनी उपलब्धि को संपूर्ण उत्तराखंड और देश के जैविक खेती करने वाले किसानों को समर्पित किया है। उनका कहना है कि इससे देश के किसानों में जैविक खेती के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और प्रतिस्पर्धा की भावना भी पैदा होगी।

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