इंटरव्यू ले बच्ची की पहचान खोलने वाले न्यूज चैनल पर मुकदमा, धौलादेवी के आरासल्पड़ गांव में युवक की गैरइरादतन हत्या का मामला

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अल्मोड़ा। आरासल्पड़ गांव में युवक की गैर इरादन हत्या प्रकरण से जुड़ी नाबालिग का खुला साक्षात्कार व पहचान उजागर करना न्यूज चैनलों को भारी पड़ गया।

इंटरनेट मीडिया पर किशोरी से बातचीत संबंधी वीडियो के वायरल होते ही बाल कल्याण समिति ने इसे गंभीर करार दे एसएसपी से कार्रवाई का आग्रह किया। तर्क दिया कि इससे नाबालिग की सुरक्षा जहां खतरे में पड़ सकती है, वहीं उसकी मनोदशा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इधर, मौके से रिपोर्टिंग कर रहे न्यूज चैनल के एंकर व कुछ अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

बीती बुधवार को आरासल्पड़ गांव में कथित छेड़छाड़ मामले में रुवाल गांव (दन्यां) निवासी भुवन जोशी की ग्रामीणों ने घंटों निर्मम पिटाई की थी। अगले दिन उसने सीएचसी धौलादेवी में दम तोड़ दिया था। इस मामले में मृतक के भाई की तहरीर पर किशोरी समेत दस लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इनमें सेनौ आरोपित गिरफ्तार किए गए। इधर, वारदात के बाद घटनाक्रम की कवरेज को जेजेएन व अन्य न्यूज चैनलों के लोग पूरे प्रकरण का केंद्र बनी किशोरी के गांव जा पहुंचे। अति उत्साह में उसका इंटरव्यू तो लिया ही, नाबालिग होने के बावजूद उसकी पहचान भी उजागर कर दी।

समिति ने कहा- पूछताछ अनर्गल

बाल कल्याण समिति ने साक्षात्कार पर सवाल उठा एसएसपी को भेजे पत्र में कहा कि जेजेएन के दीपांशु कुंवर व अन्य न्यूज चैनलों ने नाबालिग का इंटरव्यू प्रचारित कर उसकी पहचान उजागर की। अनर्गल तरीके से पूछताछ की गई। समिति ने संबंधित न्यूज चैनलों के खिलाफ आवश्यक वैधानिक कार्रवाई कर किशोरी को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा। एसएसपी पंकज भट्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसओ दन्यां संतोष देवरानी को जांच व कार्रवाई के निर्देश दिए। इस पर जेजेएन व अन्य न्यूज के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया। अधिनियम की धारा 74 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। विवेचना महिला थानाध्यक्ष श्वेता नेगी को सौंपी गई है।

एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया कि नाबालिग की पहचान उजागर करना सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशानुसार व विभिन्न नियमों के तहत दंडनीय अपराध है। नाबालिग की पहचान के साथ उसके विद्यालय का पता उजागर करना भी दंडनीय अपराध है। नाबालिग का किसी भी प्रकार का प्रकटीकरण व उसके फोटो को प्रसारित किया जाना कानून अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए कोई भी ऐसा कृत्य न करें, जिससे हमें कानूनी कार्रवाई को बाध्य होना पड़े।

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