इस साल भी कैलाश मानसरोवर यात्रा के आयोजन पर मंडरा रहे संशय के बादल

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अल्मोड़ा। विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा के आयोजन पर इस साल भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं। यात्रा को लेकर विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित होने वाली जरूरी बैठक के बाबत अभी कोई सूचना नहीं है, जबकि हर साल यह बैठक जनवरी के अंतिम सप्ताह में होती थी। यात्रा के आयोजन में इस बैठक की अहम भूमिका होती है। पिछले साल मानसरोवर यात्रा कोविड की वजह से संपन्न नहीं हो पाई थी।

सैकड़ों यात्री भगवान शिव के धाम कैलाश के दर्शन करने के लिए जाते हैं। इस यात्रा के आयोजन में सरकार और प्रशासन को भी काफी तैयारी करनी पड़ती है। कुमाऊं से होने वाली यात्रा में कुमाऊं मंडल विकास निगम की अहम भूमिका रहती है। केएमवीएन के जीएम अशोक जोशी ने बताया कि जनवरी के अंतिम सप्ताह में हर साल कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने से पहले एक बैठक का आयोजन विदेश मंत्रालय करवाता था, जिसमें कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन), आईटीबीपी और जिला प्रशासन पिथौरागढ़ के अधिकारी शामिल होते थे। इस बैठक में यात्रा के लिए तैयारियों की समीक्षा और रणनीति तय की जाती थी।

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए यह बैठक बहुत अहम होती है क्योंकि एक तरह से यात्रा की तैयारी की शुरुआत भी इसी बैठक के साथ ही होती है। इसके बाद मार्च में जब बर्फ पिघलनी शुरू हो जाती है, तब यात्रा की तैयारियों में और तेजी आ जाती है। जरूरी बुनियादी सुधारों पर जोर दिया जाता है। केएमवीएन के अधिकारियों ने बताया कि इस बैठक की सूचना जनवरी के दूसरे सप्ताह तक आ जाती थी और जनवरी के अंत तक बैठक हो जाती थी। जून से यात्रा शुरू हो जाती थी। इस साल अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। हालांकि वह इससे ज्यादा कुछ कहने से बच रहे हैं। फिर भी इस बात के संकेत मिलते हैं कि इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा के आयोजन में एक बार फिर से संशय के बादल मंडरा रहे हैं। 

मानसरोवर यात्रा रद्द होने से केएमवीएन को 3.5 करोड़ का घाटा 
कैलाश मानसरोवर यात्रा रद्द होने से कुमाऊं मंडल विकास निगम को करोड़ों का घाटा हुआ है। कैलाश यात्रा केएमवीएन की आय का प्रमुख जरिया है। एक यात्री के एवज में निगम को फिलहाल 35 हजार का भुगतान किया जाता है। पिछले साल केएमवीएन ने 949 यात्रियों के जरिये 33215000 की आय अर्जित की थी। 2020 में अनुमान था कि 1000 यात्रियों को कुमाऊं के रास्ते कैलाश मानसरोवर भेजा जाएगा। इससे निगम को 3.50 करोड़ की आय होने की उम्मीद थी। लेकिन यात्रा का आयोजन हुआ ही नहीं।

बजट के अभाव में छह साल से अटका है काम
मानसरोवर यात्रियों की यात्रा को सुगम बनाने के लिए केंद्र से 2014-15 में 3.42 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। इसके तहत यात्रा मार्ग पर मुनस्यारी, थल, रालकोट में रेस्ट हाउस में मरम्मत और अन्य निर्माण काम होने थे लेकिन इस योजना के सापेक्ष 40 लाख रुपये ही निगम को मिले, जिससे धारचूला में पर्यटक आवास गृह में निर्माण कर दिया गया। बाकी की राशि प्राप्त होनी अभी शेष है।

कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर एक जरूरी बैठक का आयोजन विदेश मंत्रालय करवाता था जो जनवरी तक हो जाती थी। इस साल अभी तक इस बैठक की कोई सूचना नहीं मिली है।
– अशोक जोशी, महाप्रबंधक, कुमाऊं मंडल विकास निगम।

 

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