बीस हजार के इनामी माओवादी भास्कर पांडे की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उसके पास से बरामद पेन ड्राइव से कई अहम सुराग मिले हैं।
शुरुआती पूछताछ और पेन ड्राइव देखने से यह भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि कुमाऊं में अकेला होने के कारण भास्कर की भावी योजना माओवादी सेंट्रल कमेटी आफ इंडिया से जुड़ने की थी। फिलहाल पुलिस बारीकी से पेन ड्राइव का निरीक्षण कर रही है जिससे माओवाद को लेकर और अहम सुराग मिलने के आसार हैं।
सोमवार को अल्मोड़ा पुलिस और एसटीएफ ने संयुक्त कार्रवाई कर माओवादी भास्कर पांडे को गिरफ्तार किया था। मंगलवार को कोर्ट में पेश करने के बाद भास्कर को अल्मोड़ा जेल में दाखिल किया गया। उसके पास से पुलिस ने एक पेन ड्राइव भी बरामद की थी। पुलिस को अंदेशा था कि पेन ड्राइव में माओवाद से जुड़े कई अहम सुराग हो सकते हैं।
कोर्ट से पेन ड्राइव का अवलोकन करने की अनुमति मिलने के बाद शुरुआती निरीक्षण में पता चला है कि ड्राइव में 2017 में सोमेश्वर, धारी और द्वाराहाट में की गई माओवादी घटनाओं का डाटा जमा किया गया है। इससे इस बात की भी पुष्टि होती है कि उक्त सभी घटनाओं को माओवादी संगठन ने ही अंजाम दिया था। 2019 में लखनऊ एटीएस की ओर से गिरफ्तार माओवादी खीम सिंह बोरा के संकलित कुछ दस्तावेज और संगठन के संबंध में जानकारी भी पैन ड्राइव में मिली है।
खीमसिंह के संकलन से मिल सकते हैं बड़े सुराग
छापामारी युद्ध, शस्त्र प्रशिक्षण का भी मिला ब्योरा
बरामद पेन ड्राइव माओवादी संगठन के लिए कितनी अहम है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ड्राइव में छापामारी युद्ध और शस्त्र प्रशिक्षण का भी ब्योरा है। पूर्व में खीम सिंह बोरा और अन्य माओवादियों ने हंसपुर खत्ता और नैनीताल के जंगलों में 15 दिन रहकर एमसीसीआई-पीएलजीए ट्रेनिंग कैंप चलाया था। इसमें मध्य प्रदेश से देशी हथियार बनाने के लिए दो विशेषज्ञ बुलाए गए थे। जिन्होंने ट्रेनिंग कैंप में ही छह हथियार बनाए। इसके बाद पश्चिमी चंपारण बिहार से ट्रेनिंग देने के लिए दो विशेषज्ञों को बुलाया गया था।
भास्कर पांडे के पास से एक पेन ड्राइव बरामद हुई थी। जिसका अवलोकन करने के आदेश कोर्ट से मिले हैं। प्रारंभिक अवलोकन में पूर्व में सोमेश्वर, धारी और द्वाराहाट में अंजाम दी गई माओवादी गतिविधियों का डाटा मिला है। जिससे पुष्टि होती है कि उक्त घटनाओं को माओवादियों ने ही अंजाम दिया था। शस्त्र प्रशिक्षण और छापामारी युद्ध का डाटा भी ड्राइव में संकलित किया गया है।
– तपेश चंद, जांच अधिकारी/सीओ अल्मोड़ा